* टमाटर को पीसकर चेहरे पर इसका लेप लगाने से त्वचा की कांति और चमक दो गुना बढ़ जाती है। मुँहासे, चेहरे की झाइयाँ और दाग-धब्बे दूर करने में मदद मिलती है।

* पसीना अधिक आता हो तो पानी में फिटकरी डालकर स्नान करें।
* यदि नींद न आने की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय तलवों पर सरसों का तेल लगाएँ।
* एक कप गुलाब जल में आधा नीबू निचोड़ लें, इससे सुबह-शाम कुल्ले करने पर मुँह की बदबू दूर होकर मसूड़े व दाँत मजबूत होते हैं।
* भोजन के साथ 2 केले प्रतिदिन सेवन करने से भूख में वृद्धि होती है।
* आँवला भूनकर खाने से खाँसी में फौरन राहत मिलती है।
* 1 चम्मच शुद्ध घी में हींग मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत मिलती है।
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बारिश के मौसम में बीमारियाँ अतिरिक्त सावधानी के बावजूद घर में आ जाती है। सर्दी-जुकाम तो आम बात है। विशेषकर अस्थमा के मरीज को यह मौसम बड़ा सताता है। बुजुर्ग भी कहते हैं सबसे मजाक करो, पर सर्दी से नहीं। अक्सर लोग सर्दी लगने पर ऐलोपैथिक दवाएँ लेते हैं।

ऐलोपैथिक दवाएँ शरीर के दर्द व बुखार को कम तो कर देती हैं, लेकिन सर्दी-जुकाम पर इनका खास असर नहीं होता। सर्दी लगने पर प्राकृतिक इलाज, चिकन सूप, सौंठयुक्त चाय, अदरक-लहसुन, प्राकृतिक विटामिन और जड़ी-बूटियों के सेवन से बहुत आराम मिलता है।

इसी प्रकार कुछ उपाय हैं जिनके उपयोग से आप सर्दी से बच सकते हैं।

औषधियों वाली चाय
औषधि वाली चाय गर्म होती है। इसके सेवन से गले की खिचखिच में आराम मिलता है। दालचीनी, कालीमिर्च, जायफल, लौंग, अदरक या तुलसी की पत्ती डालकर बनाई गई चाय सर्दी-जुकाम में लाभकारी होती है।


हरी पत्तियों की चाय और काली चाय
हरी पत्तियों की चाय और काली चाय बहुत ही गुणकारी होती है। इसके सेवन से गले की खराश और सिरदर्द में आराम मिलता है।
विटामिन सी
सर्दी लगने पर विटामिन सी भी गुणकारी है। सौ मिलीग्राम की खुराक रोज लेने से सर्दी में आराम मिलता है। अधिक मात्रा में लेने पर हानि भी हो सकती है और पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है। प्राकृतिक रूप से विटामिन सी आँवले, नीबू, संतरा आदि फलों में पाया जाता है।
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रैंप पर कैटवाक करती मॉडल्स की तरह छरहरी काया के पीछे दीवानी रहने वाली लड़कियों को अब सावधान हो जाने की जरूरत है। छरहरेपन की यह दीवानगी उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की ओर ले जा सकती है।

वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि जो लड़कियां सात साल की आयु के समय अधिक पतली होती हैं उनमें बड़ी होने पर ब्रेस्ट कैंसर से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है। स्कॉटहोम के करोलिंसका इंस्टिटच्यूट के वैज्ञानिकों ने यह भी पाया की जो लड़कियां बचपन में हेल्दी होती हैं, उनके ब्रेस्ट कैंसर के चपेट में आने की संभावना कम होती है।

वैज्ञानिकों ने यह शोध स्वीडन की 6,000 महिलाओं पर किया गया है। इस शोध में शामिल की गई महिलाओं में आधी कैंसर पीड़ित थीं।
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कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र परीक्षा के तनाव से छुटकारा पाने के लिए पोल डांसिंग सीखेंगे। कैंब्रिज यूनियन सोसाएटी अधिकारियों ने बताया कि छात्र अपनी परीक्षाओं को लेकर बहुत तनावग्रस्त रहते हैं। इसीलिए यूनिवर्सिटी ने बच्चों को पोल डांस सिखाने का फैसला किया है।

छात्र यूनिवर्सिटी की ऐतिहासिक यूनियन बिल्डिंग के ब्लू रूम में डांस क्लास लगाएंगे। इस बिल्डिंग का ब्लू रूम में विंस्टन चर्चिल, दलाई लामा और पूर्व आर्कबिशप डैसमंड टूटू जैसी प्रसिद्ध हस्तियों ने अपनी विचारधाराएं पेश की हैं।

यह पहला मौका है जब कैंब्रिज यूनिवर्सिटी सोसायटी निजी तौर पर पोल डांसिंग सिखाएगी। एक घंटे की क्लास की फीस मात्र 2 पाउंड होगी। 25 अप्रैल से शुरू होने वाली क्लासों में ‘पोल फिटनैस’ के चार सैशन होंगे। यह प्रशिक्षण सिर्फ लड़कियों के लिए है।

पोल डांसिंग के प्रबंधक यूनियन एंट्स ऑफिसर जूआन डी फ्रांसिस्को ने बताया कि डांस प्रशिक्षण से छात्र परीक्षा के दिनों में आराम महसूस करेंगे। उन्होंने बताया कि ये क्लासें फिटनैस के लिए है ना कि यौन संबंधी। पोल डांस से पहले यूनिवर्सिटी यूनियन साप्ताहिक योगा क्लास लगाने की पेशकश भी कर रही है जिसकी फीस 6 पाउंड होगी।
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तेज गति से लंबी वॉक, जॉगिंग या सीढ़ियां चढ़ने जैसी आधे घंटे की कसरत कैंसर के खतरे को कम कर सकती है। विश्व कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार, इस बात के सबूत लगातार मिल रहे हैं कि जो लोग खुद को फिट रखते हैं,उन्हें बुढ़ापे में कैंसर के घेरने की आशंका उतनी ही कम रहती है।

शोधकर्ता डॉ. रैचेल थॉम्पसन ने डेली एक्सप्रेस से कहा कि आप जितना एक्टिव रहेंगे,कैंसर आपसे उतना ही दूर रहेगा। इसके लिए आपको अपनी जीवनशैली में थोड़ा परिवर्तन करना पड़ेगा। रैचेल ने कहा कि कसरत से हृदयरोग,हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों के साथ कैंसर से भी बचाव के बारे में पहली बार पता चला है।
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हृदयरोग से बचाव का कारगर नुस्खा होने के बावजूद मरीज लहसुन की बदबू से डरकर इसे खाने से हिचकते हैं। लेकिन अमेरिका में हुए एक शोध से पता चला है कि दूध का एक गिलास इसकी बदबू को काफी हद तक दूर कर देता है।

लहसुन में एलिल मिथाइल सल्फाइड नाम का रासायनिक यौगिक होता है। पेट में जाने के बाद भी यह अपघटित नहीं होता, जिससे सांस में लहसुन की तीखी गंध आती है। लेकिन 200 मिलीलीटर दूध इसकी गंध को 50 फीसदी तक कम कर देता है।

लहसुन की बदबू मिटाने के लिए फुल फैट दूध स्किम्ड मिल्क की बजाय ज्यादा फायदेमंद होता है। नतीजे तब और अच्छे मिलते हैं, जब दूध खाना खाते समय पीया जाए।
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अस्पताल में बड़े ऑपरेशनों से गुजरे लोगों को अल्जाइमर का खतरा ज्यादा रहता है। यह बात इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के एक नए शोध में सामने आई है। चूहों पर शोध में पाया गया है कि बड़े ऑपरेशनों से दिमाग में कुछ खास बदलाव होते हैं।

बाद में इससे अल्जाइमर का खतरा पैदा हो जाता है।

यह खतरा दिमाग में एक खास तरह के प्रोटीन टैंगल्स के कारण पैदा होता है। यह प्रोटीन अल्जाइमर से जुड़ा हुआ है। चूहों में अल्जाइमर नहीं होता, लेकिन इंसानों में टैंगल्स प्रोटीन तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं।

फिलहाल शोधकर्ताओं ने टैंगल्स प्रोटीन के असर को चूहों पर जांचा है। वे जल्द ही इंसानों पर शोध कर अपने नतीजे की पुष्टि करने की कोशिश करेंगे।
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अपने लजीज स्वाद से लाखों लोगों की जुबान पर राज करने वाला फल आम यूं ही फलों का राजा नहीं। यह स्तन कैंसर और कोलोन कैंसर की कोशिकाओं को फौलने से रोकता है।

टैक्सास की ए एंड एम यूनिवर्सिटी के एग्री लाइफ रिसर्च विभाग में खाद्य पदार्थ विशेषज्ञों ने यह दावा किया। प्रयोगशाला में शोध से पता चला कि आम से निकले पोलीफि नोल तत्व में कैंसर रोधी क्षमता होती है।

खाद्य वैज्ञानिक डॉ सुसेन टालकोट और उनके पति डॉ स्टीव टालकोट ने पांच तरह के आमों से निकाले गए पोलीफि नोल तत्व का कोलोन, स्तन, फेफड़े, ल्यूकीमिया तथा प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं पर परीक्षण किया। आमों में केंट, फ्रांसिनी, अतौल्फो, टॉमी और हेडन शामिल थे।

पोलीफिनोल पौधों में प्राकृतिक रूप से निकलने वाला एंटी-आक्सीडेंट है जिसमें शरीर का रोगों से बचाव करने की क्षमता होती है। टालकोट दंपति ने पाया कि आम से निकाले गए इस तत्व ने वास्तव में स्तन और कोलोन के कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट कर दिया।
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टीबी यानी तपेदिक की जांच के लिए अपनाई जाने वाली एमटीबी पद्धति में इसके वायरस की प्रतिरोधकता का अंदाजा नहीं लग पाता।

लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मॉलिक्यूलर टेस्ट तलाशा है, जिसकी बदौलत बड़ी आसानी से और कुछ ही समय में न सिर्फ इस बीमारी की, बल्कि इसके वायरस की दवाओं से प्रतिरोधकता की पहचान भी हो सकती है।

इस टेस्ट से बीमारी की 98 फीसदी सही पहचान संभव है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि टीबी का बैक्टीरिया रिफामेपिन नाम की दवा के प्रति कैसा व्यवहार करेगा। यह जांच इतनी सस्ती है कि विकासशील देशों में भी इसका इस्तेमाल सुविधाजनक रूप से किया जा सकता है।
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ब्रेस्ट कैंसर से उबरने के चार साल बाद मशहूर पॉप सिंगर काइली मिनॉग ने इस गंभीर बीमारी के खिलाफ जागरुकता फैलाने लिए अपने कपड़े उतार दिए हैं।

41 वर्षीय काइली ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ जागरूकता फैलाने और फंड इकट्ठा करने के लिए फोटोशूट दिया है। काईली इस फोटोशूट में सिल्क का ब्रेस्ट कैंसर लोगो वाला एक पट्टा पहने दिखाई दे रही हैं।

काइली के साथ इस अभियान में प्रेगनेंट जर्मन सुपर मॉडल क्लोडिया शिफर और अभिनेत्री सिएना मिलर भी शामिल हो गई है। कैंसर के खिलाफ यह अभियान आज से शुरु होगा। मिनॉग ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित होने के पांच साल बाद इस अभियान से जुड़ी हैं।

2005 में मिनॉग को ब्रेस्ट कैंसर होने का पता चला था। एक साल तक चले उपचार के बाद काइली ठीक हो पाई थी। 2006 में उन्होंने दोबारा अपने शो करने शुरू कर दिए थे।
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मुंबई के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. एचएस अडवाणी ने कहा कि पहला बेबी देरी से कन्सीव करने के कारण मेट्रो सिटीज और विकसित देशों में ब्रेस्ट कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। जबकि रूरल एरियाज में अभी भी इसकी ग्रोथ है। आजकल लंग्स कैंसर के लिए पॉल्यूशन भी काफी हद तक जिम्मेदार है।

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल में रविवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बदलती लाइफ स्टाइल के कारण फिजिकल एक्सरसाइज कम होती जा रही है। वहीं, मोटापा बढ़ाने वाली डाइट लेने का ट्रेंड बढ़ रहा है। यह आजकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण बन चुका है। महिलाओं को एचआरटी जैसी हॉरमोन थैरेपी लेनी चाहिए।

देश में ब्रेस्ट कैंसर में हर साल दो परसेंट की बढ़ोतरी हो रही है, जबकि सरवाइकल कैंसर का ग्राफ कम हुआ है। उन्होंने कहा कि आगामी सालों में आईएमआरटी थैरेपी से ट्यूमर को काफी हद तक ठीक किया जा सकेगा। इससे पेशेंट के ऑर्गेन को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।

आजकल ल्यूकोमिया में टारजेट थैरेपी की मदद से एक इंजेक्शन के जरिए सैल को ट्रीट किया जा सकता है। यह लोगों की गलत धारणा है कि कैंसर ठीक नहीं हो सकता। समय पर डायग्नोस करवाए जाने से इसका इलाज संभव है। बदलती लाइफ स्टाइल की वजह से मुंबई में ब्रेस्ट कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, मुंबई से 200 किलोमीटर दूर रूरल एरियाज में सरवाइकल कैंसर के पेशेंट्स में इजाफा हो रहा है।
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ब्रेस्ट कैंसर की पहचान अब मिनटों में होगी। इसके लिए ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक ट्राईकॉर्डर विकसित किया है। हाथ में पकड़े जा सकने वाली यह मशीन मरीज के खून, उसकी लार व यूरिन की जांच करने के बाद कुछ ही मिनटों में कैंसर की पहचान कर लेगी।

क्लीनिहब नाम के इस उपकरण में कई पोट्र्स हैं, जिनमें सैंपल्स डाले जा सकते हैं। इसे बनाने वाले कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के पैट्रिक पॉर्डेज ने कहा कि डॉक्टरों और मरीज दोनों के लिए यह मशीन आने वाले समय में फायदेमंद होगी। मशीन की कीमत 650 पाउंड (करीब 47 हजार रुपए) है।
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