वाशिंगटन, अमेरिका का सैन फ्रांसिस्को सम्भवत: दुनिया का पहला शहर होगा जहाँ अगले साल से मोबाइल फोन पर स्वास्थ्य सम्बन्धी चेतावनी अनिवार्य रूप से लिखी जाएगी। मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सैन फ्रांसिस्को ने एक विधेयक को मंजूरी दी है जिसके तहत शहर में मोबाइल फोन की दुकानों पर विभिन्न मॉडल के मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडियोधर्मी विकिरण के स्तर के बारे में जानकारी को प्रमुखता से प्रदर्शित करना जरूरी होगा।

इस कानून के मुताबिक मोबाइल स्टोर को मानव शरीर द्वारा ग्रहण की जाने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी के स्तर बारे में मोबाइल फोन पर छापकर या स्टोर में पोस्टर लगाकर जानकारी देनी होगी। मोबाइल फोन उद्योग के प्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद इस विधेयक को पारित किया गया है। इस पर शहर के मेयर गेविन न्यूसम के दस्तखत होने बाकी हैं।
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* अगर सुख की नींद सोना हो तो सोते समय 'चिंता' न करें, प्रभुनाम का 'चिंतन' करें।

* पाचन शक्ति ठीक रखनी हो तो ठीक वक्त पर भोजन करें और प्रत्येक कौर को 32 बार चबाएँ।

* यदि यौनशक्ति ठीक रखनी हो तो कामुक चिंतन न किया करें और सप्ताह में एक से अधिक बार सहवास न किया करें।

* यह गलतफहमी है कि अण्डा, माँस खाने से बल बढ़ता है और शराब पीने से आनंद आता है। अण्डा, माँस खाने से शरीर मोटा-तगड़ा जरूर हो सकता है पर कुछ बीमारियाँ भी इसी से पैदा होती हैं। शराब पीने से आनंद नहीं आता, बेहोशी आती है और बीमारियाँ होती हैं।

* अपनी आर्थिक शक्ति से अधिक धन खर्च करने वाला कर्जदार हो जाता है। अपनी शारीरिक शक्ति से अधिक श्रम करने वाला कमजोर हो जाता है। अपनी क्षमता से अधिक विषय भोग करने वाला जल्दी बूढ़ा और नपुंसक हो जाता है और अपने से अधिक बलवान से शत्रुता करने वाला नष्ट हो जाता है।

* भोजन करते समय और सोते समय किसी भी प्रकार की चिंता, क्रोध या शोक नहीं करना चाहिए। भोजन से पहले हाथ और सोने से पहले पैर धोना तथा दोनों वक्त मुँह साफ करना हितकारी होता है।

* यदि आप मुफ्त में स्वस्थ और चुस्त बने रहना चाहते हैं तो आपको तीन काम करना चाहिए। पहला तो प्रातः जल्दी उठकर वायु सेवन के लिए लम्बी सैर के लिए जाना और दूसरा ठीक वक्त पर खूब अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना तथा तीसरा दोनों वक्त शौच अवश्य जाना।

* बीमारी की अवस्था में, बीमारी से मुक्त होने के बाद, भोजन करने के बाद, परिश्रम या यात्रा से थके होने पर प्रातःकाल तथा सूर्यास्त के समय और उपवास करते समय विषय भोग करना बहुत हानिकारक होता है।

* यदि आप सुख चाहते हैं तो दुःख देने वाला काम न करें, यदि आप आनंद चाहते हैं तो स्वास्थ्य की रक्षा करें। यदि आप स्वास्थ्य चाहते हैं तो व्यायाम और पथ्य का सेवन करें। संसार के सब सुख स्वस्थ व्यक्ति ही भोग सकता है। कहा भी गया है- पहला सुख निरोगी काया।
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दिनभर की भागदौड़ भरी जिन्दगी की थकान मिटाने का सबसे आसान जरिया है भरपूर और चैन भरी नींद। लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जिन्हें ऐसी नींद नसीब हो पाती है। अगर कुछ बातों पर अमल करें तो आप भी पा सकते हैं ऐसी ही सुकूनभरी नींद-

*सोने से पहले अपना कोई मनपसंद गीत सुनें

*सोने का एक निश्चित नियम बनाएँ। रोजना एक ही समय पर सोने की आदत डालें।

*सोने से पहले अपनी कोई पसंदीदा पुस्तक पढ़ें।

*अच्छी नींद के लिए सोने से पहले स्नान जरूर करें।

*हल्का-फुलका व्यायाम कर लें।

*सोने से पहले शक्करयुक्त चीजें न खाएँ और न ही कॉफी या चाय पीएँ।

*सोने के पहले हल्का भोजन ही लें।

*सोने वक्त घड़ी की ओर मुड़कर न सोएँ इससे आपका ध्यान बँटता है।

*श्वसन संबंधी व्यायाम करें यह आपको मानसिक शांति प्रदान करेगा।
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वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति के पास अतिरिक्त कार्य है और कार्य को समय पर पूरा करने का प्रेशर भी। काम समय पर पूरा न हो पाने पर मानसिक तनाव होना सामान्य बात है। व्यक्ति तनाव में घर जाता है और फिर घर की परेशानी से और तनावग्रस्त हो जाता है। तनाव जीवन का नाश करता है, इससे दूर ही रहें तो अच्छा है। तनाव दूर करने के लिए कुछ आसान उपाय हम आपको बता रहे हैं, आप उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

* सूर्योदय से पहले उठें, घूमने जाएँ, हल्का व्यायाम या योग करें।

* प्रातःकाल व सोते समय 15 मिनट ईश्वर का ध्यान करें।

* स्वयं को जानें, अपनी प्रतिभा, क्षमता व सीमाओं को पहचानें।

* हमेशा सकारात्मक चिंतन करें। नकारात्मक सोच से ऊर्जा नष्ट होती है।

* जो है, उस पर संतोष करें व कर्म करने में पूर्ण विश्वास रखें।

* उत्साह एवं आत्मविश्वास के साथ काम करें। व्यवस्थित दिनचर्या की आदत डालें।

* सदैव वर्तमान में जीएँ, भूत व भविष्य की व्यर्थ चिंता से बचें। सदैव प्रसन्नचित्त रहें। हँसते-हँसते जीना सीखें।

* सादा व सरल जीवन जीएँ। जीवन में गुणवत्ता पर विश्वास रखें। दिखावे से बचें।

* हॉबीज विकसित करें। समय की पाबंदी का खयाल रखें। हमेशा वाणी संयम रखें। धैर्य व आत्मनियंत्रण रखें। परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाएँ।

* अच्छा स्वास्थ्य ही जीवन के लिए श्रेष्ठ धन है। दूसरों से स्वयं की तुलना करने से बचें। कम तथा सच्चे मित्र बनाएँ।

इन बातों को जीवन में शामिल करने, व्यवहार में लाने में शुरू में परेशानी हो सकती है, परंतु कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि आप तनावरहित एवं संतोषप्रद जीवन जी रहे हैं।
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मोगरा : यूँ तो यह गर्मियों का एक खास खुशबूदार फूल है। इसकी भीनी-भीनी महक तन-मन को ठंडक का एहसास भी कराती है। इसके फूलों को रुमाल या वस्त्रों के अंदर रखने से ठंडी ताजगी अनुभव होती है। पसीने की बदबू हटाने के लिए 8 ताजे फूलों को आधा प्याला पानी में अच्छी तरह मसल लें, इस पानी का लेप पूरे शरीर पर मलें। त्वचा मोगरे की ठंडी-ठंडी खुशबू से महकने लगेगी। हाँ, आप चाहें तो स्नान के लिए बाल्टीभर पानी में 5-6 मोगरे के फूल मसलकर भी स्नान कर सकती हैं। त्वचा में सनसनाती प्राकृतिक ठंडक का एहसास होने लगेगा।

गुलाब : यूँ तो गुलाब त्वचा का सौन्दर्य निखारने में सदियों से माहिर है। गुलाब के फूलों की पत्तियाँ त्वचा को पोषण देती हैं, त्वचा के रोम-रोम को सुगंधित बनाती हैं, ठंडक प्रदान करती हैं। गुलाब के 2 फूलों को पीसकर, आधा प्याले कच्चे दूध में 30 मिनट तक भिगोएँ, फिर इस लेप को आहिस्ता-आहिस्ता त्वचा पर मलें, सूखने पर ठंडे-ठंडे पानी से स्नान कर लें। शरीर की त्वचा नर्म, मुलायम और गुलाबी आभायुक्त दिखाई देगी। गर्मियों में गुलाब के फूलों का रस चेहरे पर मलने से चेहरे पर ठंडी-ठंडी ताजगी बनी रहती है।

केवड़ा : यूँ तो यह एक बेहतरीन खुशबू का फूल है। इसके इत्र की तासीर ग्रीष्म में तन को शीतलता प्रदान करती है। केवड़े के पानी से स्नान करने से शरीर की जलन व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलता है। गर्मियों में नित्य केवड़ायुक्त पानी से स्नान करने से शरीर में शीतलता बनी रहती है।

गेंदा : इसके पीले केसरिया फूल त्वचा को निखारने में विशेष उपयोगी है। स्किन टॉनिक बनाने के लिए 5 गेंदे के ताजे फूलों की पत्तियों को एक प्याला पानी में भिगो दें। 3 घंटे उपरांत पत्तियों को पानी में मसलकर छान लें। इस पानी का लेप त्वचा पर करें। थोड़ी देर बाद स्नान कर लें। त्वचा का सौन्दर्य तो निखरेगा ही, ठंडक का एहसास भी होगा।

एल्डर फ्लॉवर : इस फ्लॉवर को आधा प्याला पानी में रखने के उपरांत, प्याले के पानी को चेहरे पर मलें। त्वचा दाग धब्बोंरहित कोमल बनेगी।

ब्ल्यू विज हैजल : कुदरत का यह फूल भी सौन्दर्य निखारने में माहिर है। इस फूल में छिपे प्राकृतिक गुण त्वचा में कसाव भी लाते हैं व शीतलता भी प्रदान करते हैं। इसकी पत्तियाँ एक कप पानी में भिगों दें। 30 मिनट बाद पत्तियों को अच्छी तरह मसलकर छान लें। इसका लेप त्वचा पर करें। सौन्दर्य तो निखरेगा ही, ठंडी-ठंडी ताजगी का अनुभव भी होगा।

रातरानी : इसके फूल रात में ही खिलकर महकते हैं। एक टब पानी में इसके 15-20 फूलों के गुच्छे डाल दें और टब को शयन कक्ष में रख दें। कूलर व पंखे की हवा से टब का पानी ठंडा होकर रातरानी की ठंडी-ठंडी खुशबू से महकने लगेगा। सुबह रातरानी के सुगंधित जल से स्नान कर लें। दिनभर बदन में ताजगी का एहसास रहेगा व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा।

कमल : कमल के फूलों को धारण करने से शरीर शीतल रहता है। फोड़े-फुँसी आदि शांत होते हैं। शरीर पर विष का कुप्रभाव कम होता है। गुलाब, बेला, जूही आदि के अलंकरण हृदय को प्रिय होते हैं। इससे मोटापा कम होता है। चंपा, चमेली, मौलसरी आदि के प्रयोग से शरीर दाह की कमी तथा रक्त विकार दूर होते हैं और मन प्रसन्न रहता है।
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यदि आपकी आँखें फूली हुई हैं और नीचे काले घेरे हैं तो यह स्पष्ट है कि आप थके हुए हैं और लंबे समय से तनाव में हैं। आँखों के नीचे काले घेरों का मतलब है कि आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहे हैं। इसके साथ ही इसका एक बड़ा कारण आयरन की कमी भी हो सकती है। यदि आँखें फूली हुई हैं तो इसका मतलब है कि आप अतिरिक्त नमक, शकर और मैदा ले रहे हैं, जिसकी वजह से आपका ब्लड सर्कुलेशन कमजोर है। आप ये उपाय कर दोनों समस्याओं से निजात पा सकते हैं :
अपने खाने में फल और सब्जियों खासतौर पर गोभी, पालक और हरी-पत्तेदार सब्जियों की मात्रा बढ़ाएँ। ताँबे की प्रधानता वाले तत्व जैसे तिल, मशरूम, जौ और काजू को खाने में स्थान दें, ताकि आपके शरीर का एंटीऑक्सिडेंट मैकेनिज्म तेज हो, जो डार्क सर्कल से लड़े। हर दिन के खाने में नमक की मात्रा 2 से 3 टेबल स्पून तक कम करें और शकर को पूरी तरह से बंद कर दें।
ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए हर दिन ब्रिस्क वॉक करें। ये सब फूली हुई आँखों की समस्या को दूर करने में जादुई असर करेगा।  हर दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएँ क्योंकि रूखापन भी डार्क सर्कल्स पैदा करता है। 
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बहुत ज्यादा काम या नया काम ही तनाव नहीं देता। कई बार वही पुराना काम व नए चुनौतीपूर्ण काम का अभाव भी हमें टेंशन दे सकता है! अगर आप लगातार एक जैसा काम करते हुए बोर हो रहे हैं तो संभल जाइए यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

बोर होने के नुकसान : -
1 लगातार बोर होते रहने से जीवन में नीरसता आ जाती है, इससे चेहरे की त्वचा अपनी चमक खोने लगती है।
2 जीवन के प्रति उत्साह ना रहने से चि‍ड़चिड़ापन और उद्वीग्नता आ जाती है।
3 आँखें बुझी-बुझी लगती है।
4 छोटे-छोटे रोग शरीर में घर बनाने लगते हैं।
5 सबसे पहला असर प्राकृतिक भूख पर पड़ता है। भोजन के प्रति अरुचि होने लगती है।

क्या करें :- बो‍रियत से बचने के लिए अपनी रुचि के अनुरूप कार्यों के लिए समय निकालें। कुछ समय योग, भक्ति या व्यायाम के लिए निकालें। मित्रों एवं परिवार वालों के साथ समय बिताएँ। प्राकृतिक स्थानों पर जाएँ। ऐसी पुस्तकें पढ़ें, जिनमें आपकी रुचि हो। मनपसंद संगीत सुनें। सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ।
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सकारात्मक लोगों के साथ रहें - सबसे ज्यादा जरूरी है आप के आस-पास के लोग सकारात्मक सोच वाले हों।

दयालुता - इसकी शुरुआत भी आप अपने आप से करें। खुद के प्रति दयालु रहें आपकी सोच पॉजिटिव हो जाएगी।

विश्वास - जी हाँ, फरेब की इस दुनिया में विश्वास के साथ चलें। आपका विश्वास आपको दिशा देगा।

प्रेरणा लें - जिस व्यक्ति का काम अच्छा लगे उससे प्रेरणा लें। अखबार के अलावा किताबें पढ़ने की आदत डालें।

स्माइल - सबसे अधिक जरूरी है आपका मुस्कुराना। दिन भर में पचासों ऐसे कारण सामने आते है जिनसे खीज होती है, स्वस्थ रहने के लिए बेहतर है कि यह खीज आपके साथ क्षण भर ही रहे। तुरंत नियंत्रण पाने की कोशिश करें।

ध्यान बाँटें - जो बात आपको ज्यादा परेशान कर रही है उससे अपना ध्यान हटा कर उन बातों की तरफ रूख कीजिए जो आपको अच्छी लगती है।

प्यार के बारे में सोचें : हम सभी अपने जीवन में एक बार प्यार अवश्य करते हैं। स्वस्थ रहने के लिए वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है प्यार की मधुर स्मृतियाँ आपको ताकत देती है। याद रहे, प्यार की अच्छी और सुखद बातें ही सोचें ना कि तकलीफदेह बातें।
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"Her voice is the kind that touches souls, and evokes undiscovered adrenaline."
Dr. (Mrs.)Sarita Pathak Yajurevdi is an established vocalist of Hundistani classical music of "Rampur Sadarang Parampara". Born in a culturally active family of Uttaranchal Sarita started learning classical music at the very tender age of five years from Pt. Shankar Nath Patil, an eminent musician from Karnataka. At a later stage,she continued her training in Hindustani music with the renowned classical vocalist Smt. Sulochana Brahaspati, under Guru Shishya Parampara.
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हर रोज चार से पाँच घंटे तक ओवरटाइम करने वाले लोगों को दिल का दौरा पड़ने का जोखिम सामान्य लोगों की अपेक्षा बढ़ जाता है।

इस प्रकार अपने नए शोध से वैज्ञानिकों ने पेशेवर और निजी जीवन के बीच संतुलन पर जोर दिया है। वैज्ञानिकों ने छह हजार से अधिक ब्रिटिश नौकरशाहों पर अपना अध्ययन किया, जिन्हें दिन में 10 या उससे अधिक घंटे तक काम करने की आदत थी। इन्हें दिल का दौरा पड़ने से मौत होने का खतरा 60 फीसदी से अधिक बढ़ गया। इस जोखिम के कारण उन्हे गैर जानलेवा दिल का दौरा भी पड़ा।

बीबीसी ने खबर दी है कि धूम्रपान, अधिक वजन या कोलेस्ट्राल जैसे दिल के दौरे के जोखिम के ज्ञात कारणों से इन नतीजों के निष्कर्ष निकाले गए।

12 वर्षों के अध्ययन के बाद फिनलैंड के हेलसिंकी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ आक्यूपेशनल हेल्थ के वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला। दिल की बीमारी के कारण मृत्यु के 369 मामले पाए गए। इन लोगों को दिल का दौरा पड़ा था अथवा एंजाइना हुआ था।

यह निष्कर्ष ऑनलाइन यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इनमें से कई मामले दिल की बीमारी और ओवरटाइम से जुड़े हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि इसके कई सारे स्पष्टीकरण हो सकते हैं। 
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