चुस्त बनें
हमारे व्यस्त जीवन में समय निकाल पाना बहुत मुश्किल है। खासकर जो लोग काम पर जाते हैं, वे दिल की बीमारियों के जोखिम से घिर जाते हैं। जो समय का उचित प्रबंधन कर पाते हैं वे बताएँगे कि उनके पास कितनी अतिरिक्त ऊर्जा है और वे पूर्व में नियमित व्यायाम करने की शुरुआत करने के मुकाबले अब कितना ज्यादा कार्य करने में सक्षम हैं। इसलिए कोई बहाना न बनाएँ, तुरंत चुस्त होने की दिशा में कदम उठाएँ।
क्यों जरूरी है चुस्त रहना
प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने से आप हृदय की बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं। बिना किसी नियमित शारीरिक गतिविधि के शरीर धीरे-धीरे अच्छा कार्य करने की क्षमता और शक्ति खो देता है।
सलाह
स्वस्थ हृदय रखने के लिए प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट के संतुलित व्यायाम या प्रति सप्ताह 75 मिनट के कठोर व्यायाम या दोनों के संयोजन की सलाह दी जाती है। कसरत आपके शरीर में गति पैदा कर कैलोरी (ऊर्जा) को खत्म करती है,जैसे सीढ़ी चढ़ने से या खेलने से शरीर की ऊर्जा खर्च होती है।
एरोबिक (करतबी) व्यायाम आपके हृदय को फायदा पहुँचाते हैं। टहलना, दौड़ना, तैरना और साइकल चलाना आदि कई तरह की कसरतें फिटनेस का स्तर ऊँचा रखती हैं। कठोर और खिंचाव वाले व्यायाम संपूर्ण शक्ति और लचीलेपन के लिए सर्वोत्तम हैं। सबसे सकारात्मक और सरल है टहलना शुरू करना। यह आनंददायक, निःशुल्क, सामाजिक और बेहतरीन व्यायाम है।


सबसे अहम क्या है?
हो सकता है आप बहुत खा रहे हों, लेकिन आपको अन्य आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल रहे हों। पोषक तत्वों से प्रचुर भोजन में विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर (रेशेयुक्त) और अन्य पोषक तत्व होते हैं, लेकिन कम कैलोरी में। अपने लिए आवश्यक पोषक तत्व के लिए ऐसा भोजन चुनें जिनमें सब्जियाँ, फल, सभी तरह के अनाज और वसामुक्त या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद शामिल हों।
नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम से उच्च रक्तचाप कम करने में तो मदद मिलती ही है, इसके अतिरिक्त इससे एचडीएल (कोलेस्ट्रॉल) बढ़ता है। इंसुलिन का उपयोग बेहतर होता है, वजन कम होता है।

वजन कम करें
हृदय की बीमारी का एक बड़ा कारण कमर पर जमा अतिरिक्त वसा है। मोटापे के कारण उच्च रक्तचाप, रक्त में उच्च कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज (मधुमेह) जैसी समस्याओं का खतरा रहता है। शरीर नाशपाती के आकार का होना चाहिए, सेब के आकार का नहीं।

क्या खाएँ
सब्जियों और फलों में विटामिन मिनरल्स और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं। इनमें कम कैलोरी होती है। कई तरह के फल और सब्जियाँ खाने से वजन कम करने के साथ रक्तचाप भी नियंत्रित किया जा सकता है। आधुनिक अनुसंधान से स्पष्ट है कि मछली में मौजूद ओमेगा 3 वसा अम्ल (सैलमन, ट्राउट और हेरिंग) खाने से कोरोनरी आर्टरी (हृदय धमनी की बीमारी) से मृत्यु की आशंका कम हो जाती है।

वसा मुक्त, 1 प्रतिशत वसा और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद चुनें। वनस्पति तेल वाला भोजन न करें। तले-भुने भोजन और बेकरी उत्पादों से बचना चाहिए या उन्हें बहुत कम लेना चाहिए। प्रतिदिन 300 मिलीग्राम से कम कोलेस्ट्रॉल खाने का लक्ष्य बनाएँ। भोजन को कम से कम नमक के साथ या बिना नमक के तैयार करें। प्रतिदिन 1500 मिग्रा से कम सोडियम (नमक में पाया जाने वाला तत्व) खाने का लक्ष्य बनाएँ।

शराब से करें तौबा
किसी भी रूप में धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। इसे छोड़ दें। धूम्रपान करने वालों और शराब पीने वालों को दिल की कई चिरकालिक बीमारियाँ होने का जोखिम रहता है।

बेहतर खाएँ
स्वस्थ आहार और संतुलित जीवनचर्या कॉर्डियोवैस्कुलर (हृदयसंवहन की) बीमारी से लड़ने के लिए सर्वोत्तम हथियार हैं। हालाँकि स्वस्थ खाने के विषय में कई भ्रांतियाँ भी प्रचलित हैं। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि हम में से ज्यादातर लोग अलग-अलग तरह की वसा के विषय में भ्रम में रहते हैं। नमक की खपत, मांसाहार और डेयरी उत्पादों के विषय में भी हमारे मन में कई प्रश्न हैं। विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी इकट्ठा कर स्वास्थ्य अनुकूल निर्णय लें।
READ MORE
आज वैज्ञानिक, औषधियों के निर्माण के लिये लगातार आविष्कार कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को यह बात भलीभांति ज्ञात है कि प्रकृति ने मानव और जीव-जन्तुओं की प्राण-रक्षा के लिये संसार में विभिन्न जड़ी-बूटियों की उत्पत्ति भी की है। इन जड़ी-बूटियों की पहचान तथा उनके सम्मिश्रण से ही वैज्ञानिक असाध्य रोगों की दवा बनाने में सक्षम हो पा रहे हैं। बच्चों में होने वाले आम रोगों की जानकारी प्रस्तुत है और साथ ही कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों की जानकारी भी दी जा रही है, जिनके प्रयोग से बच्चों की बीमारियों से रक्षा की जा सकती है। बच्चों के कुछ आम रोग और उनके उपचार के नुस्खे-

तुतलाना और हकलाना

बच्चों में तुतलाना और हकलाना प्राय देखा जाता है। यह वास्तव में कोई रोग नहीं होता वरन कुछ पौष्टिक तत्वों की शरीर में कमी के कारण ही होता है। तुतलाने और हकलाने की दशा में निम्न जड़ी-बूटियों का प्रयोग दिये गये तरीके से करने में लाभ अवश्य होता है।
1. बच्चे को एक ताजा हरा आँवला रोज चबाने के लिये दें। बच्चे से कहें कि पूरा आँवला वह चबा कर खा ले। इससे बच्चे की जीभ पतली हो जायेगी और उसके मुख की गर्मी भी समाप्त हो जायेगी। बच्चे का तुतलाना और हकलाना बन्द हो जायेगा।
2. बादाम गिरी 7 और काली मिर्च 7 लेकर कुछ बूंद पानी में घिस कर चटनी बना लें और उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला लें तथा बच्चे को चटा दें। नियमित रूप से लगभग एक या दो माह तक ऐसा करें। हकलाना और तुतलाना समाप्त हो जायेगा।
3. सत्यानाशी का दूध दो बूंदें लेकर जबान पर मालिश करने पर हकलाना बन्द हो जाता है।
4. प्रातकाल मक्खन में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटने से कुछ ही दिनों में हकलाहट दूर हो जाती है।
5. तेजपात को जीभ के नीचे रखने से हकलाना और तुतलाना ठीक हो जाता है।
6. फूला हुआ सुहागा लें और उसमें शहद मिला कर जीभ पर मालिश करने से हकलाना समाप्त हो जाता है।
7. मीठी बच, मीठी कूट, अलगन्ध और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना थोड़ा-सा चूर्ण 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से आवाज बिल्कुल साफ हो जाती है। हकलाना भी समाप्त हो जाता है।
8. हरा धनिया व अमलतास के गूदे को एक साथ पीस कर रख लें। पानी मिलाकर 21 दिनों तक कुल्ली करने से हकलाहट समाप्त हो जाती है।

खांसी, श्वांस और बुखार

बच्चों में खांसी, श्वांस और बुखार का प्रकोप बहुत जल्दी हो जाता है। इसे निम्नलिखित जड़ी-बूटियों की सहायता से दूर किया जा सकता है।
1. पीपल, नागरमोथा, अतीस काकड़सिंगी, इन चारों चीजों को महीन पीस लें तथा छान कर रख लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चटाने से बुखार, दस्त, खांसी, श्वांस जैसी बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।
2. हल्दी और आमा हल्दी, मुलेठी, इन्द्र जौ, इन सबका काढ़ा बनाकर बच्चों को पिलाने से बुखार, खांसी, श्वांस तथा उल्टी जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।
3. कुटकी के चूर्ण को मिश्री या शहद के साथ मिलाकर चटाने से बच्चों का बुखार ठीक हो जाता है।
4. धनिया और मिश्री को पीस कर चावलों के पानी के साथ पिलाने से खांसी और श्वांस रोग ठीक हो जाते हैं।
5. ढाख पीपल तथा सोंठ के चूर्ण को शहद तथा शुद्ध घी में मिलाकर चटाने से सभी प्रकार की खांसी दूर हो जाती है।

पसली चलना

बच्चों की अक्सर पसलियाँ चलने लगती हैं। इससे बच्चों को बहुत पीड़ा का होती है। निम्नलिखित जड़ी-बूटियों के सेवन से इस रोग से मुक्ति मिल जाती है।
1. एक गोलोचन की चुटकी लेकर माँ के दूध में घिसकर दो-दो घंटे से देने से शिशु की पसलियाँ चलनी बन्द हो जाती हैं।
2. अमलताश की फली को जला लें और बारीक पीस लें। बच्चे की जब पसली चल रही हो, तो उस राख की एक चुटकी चूर्ण चटा दें। बच्चे को तुरन्त आराम हो जायेगा।
3. नागरमोथा, क्षार, अतीस सुहागा, हर और बहेड़ा एक-एक तोला लें और पानी में घोंट कर बच्चे को चटायें। इससे भी पसलियों का चलना बन्द हो जाता है।

अतिसार

जिन बच्चों को अतिसार रोग हो जाये तो निम्न जड़ी-बूटियों का सेवन कराकर उन्हें लाभ पहुँचाया जा सकता है।
1. खिन्नी की छाल को पानी में पीस कर शहद मिलाकर पिलाने से बच्चों का अतिसार रोग दूर हो जाता है।
2. नीम के पत्ते और हल्दी बराबर मात्रा में पीस कर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली देने से अतिसार रोग दूर हो जाता है।
3. जामुन का ताजा रस, बकरी के दूध में मिलाकर पिलाने से अतिसार समाप्त हो जाता है।
4. सोंठ, जायफल, बेलगिरी और अतीस का चूर्ण बनाकर 2-2 रत्ती दिन में दो बार पानी के साथ देने से बार-बार दस्त आने बन्द हो जाते हैं।

कब्ज, अजीर्ण एवं उदर शूल

1. एलुआ को पीस कर उसमें साबुन मिलायें। इसे बच्चों के पेट पर मलने से बच्चों का कब्ज दूर हो जाता है।
2. तुरन्त पैदा हुए शिशु के मुँह में करेले का पत्ता रखने से आंतों तथा छाती में जमा मल निकल जाता है।
3. कीड़ा मार के पत्ते बालक की नाभि पर बांधने से कब्ज में लाभ होता है।
4. तुलसी के पत्तों का फेंट पिलाने से बच्चों का कब्ज ठीक हो जाता है।
5. अमलतास के गूदे को नाभि के चारों ओर लगाने से दस्त, अफारा और पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

बच्चों का सूखा रोग

1. हरी गिलोय के रंग में बालक का कुर्ता रंग कर सुखा लें। यह कुर्ता सूखा रोग से ग्रस्त बच्चे को पहनाये रखें। इससे बच्चे का सूखा रोग ठीक हो जायेगा।
2. एक रत्ती कली चूना, शहद मिलाकर चटायें और घारोष्ण दूध पीने से सूखा रोग दूर हो जाता है।
3. हरमल बूटी का पंचास पीस कर देने से शिशुओं का सूखा रोग ठीक हो जाता है।
4. सच्चे मोतियों को गुलाब जल में घोंट कर मूंग के दाने के बराबर गोलियाँ बना लें। दिन में तीन बार गाय के दूध के साथ देने से सूखा रोग मिट जाता है।
READ MORE
हमें अक्सर यह भ्रम रहता है कि मोटे अनाज हमारी खुराक का एक बड़ा हिस्सा होते हैं। इसीलिए अकसर हम मोटे अनाजों के खानों को लेकर चिंतित नहीं रहते। लेकिन क्या कभी हम सोचते हैं कि हम मोटे अनाज के रूप में ये जो चीजें खाते हैं, मसलन, रोटी, पास्ता, नूडल, बिस्किट, इडली, डोसा, इन सब में कितनी तरह के मोटे अनाज होते हैं? सिर्फ दो। गेहूं और चावल। हमारे रोजमर्रा के भोजन में ज्यादातर यही दोनों मोटे अनाज विभिन्न रूपों में मौजूद होते हैं। जबकि हमें तमाम मोटे अनाज खाने चाहिए जो इससे इतर भी हों। मसलन, जई, बाजरा, ज्वार, रागी, जौ आदि। लेकिन शहरी भारत के ज्यादातर लोगों को इन तमाम मोटे अनाजों के बारे में या तो पता नहीं है या इनका इस्तेमाल उनकी आदत का हिस्सा नहीं हैं।
यही वजह है कि मोटे अनाज के तौर पर हम सिर्फ और सिर्फ गेहूं और चावल के तमाम उत्पाद खाते रहते हैं और सोचते हैं कि मोटे अनाज खाने की हमारी जरूरत पूरी हो गई। जबकि खुराक विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपका अपने हेल्थ की वेल्थ का अंदाजा है तो अपने खाने में इन मोटे अनाजों को सजग होकर शामिल करें।

ओट्स

  • ओट्स या जई आसानी से पच जाने वाले फाइबर का जबरदस्त स्रोत है। साथ ही यह कॉम्पलेक्स कार्बोहाइडेट्स का भी अच्छा स्रोत है।
  • ओट्स हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करता है। बशर्ते इसे लो सैच्यूरेटिड फैट के साथ लिया जाए।
  • ओट्स एलडीएल की क्लियरेंस बढ़ाता है।
  • ओट्स में फोलिक एसिड होता है जो बढ़ती उम्र वाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह एंटीकैंसर भी होता है।
  • ओट में कैल्शियम, जिंक, मैग्नीज, लोहा और विटामिन-बी व ई भरपूर मात्रा में होते हैं।
  • जो लोग डिसलिपिडेमिया और डायबिटीज से पीड़ित हैं उन्हें ओट्स फायदेमंद होता है। गर्भवती महिलाओं और बढ़ते बच्चों को भी ओट खाना चाहिए।

जौ

  • जौ वह अनाज है जिसमें सबसे ज्यादा अल्कोहल पाया जाता है।
  • यह पच जाने वाले फाइबर का भी अच्छा स्रोत है।
  • यह ब्लड कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
  • यह ब्लड ग्लूकोज को बढ़ाता है।
  • जौ मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत और एंटीऑक्सीडेंट है।
  • अल्कोहल से भरे होने के कारण यह डायूरेटिक है इस कारण हाइपर टेंशन से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है।

रागी

  • रागी कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत है। इसलिए जो लोग ऑस्टेपेनिया के शिकार हैं और ऑस्टेपोरेसिस के भी, ऐसे दोनों लोगों के लिए यह फायदेमंद है।
  • यह मोनोपोज के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है।
  • जो लोग लेक्टोज की समस्या से पीड़ित होते हैं उनके लिए रागी कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत है। इसीलिए रागी का इस्तेमाल छोटे बच्चों के भोजन में भी होता है।

बाजरा

  • बाजरा एक गर्म अनाज है। इसलिए आमतौर पर इसका स्वागत जाड़ों के दिनों में ही किया जाता है। बाजरा प्रोटीन का भंडार है। बाजरे में मैथाइन, ट्राइप्टोफान और इनलिसाइन बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
  • यह थायमीन अथवा विटामिन-बी का अच्छा स्रोत है और आयरन तथा कैल्शियम का भी भंडार है।
  • यह उन लोगों के लिए तो बहुत ही फायदेमंद है जो गेहूं नहीं खा सकते। लेकिन बाजरे को किसी और अनाज के साथ मिलाकर खाना चाहिए।

ज्वार

  • ज्वार भी एक तरह से जाड़ों में पसंद किया जाने वाला अनाज है। इसमें बहुत कम वसा होती है और ये कार्बोहाइडेट का जबरदस्त भंडार है।
  • इसमें भी आयरन, कैल्शियम का उपयोगी भंडार होता है। यह उनके लिए सही रहता है जो पोलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
  • यह मूत्र प्रक्रिया को सुचारू रूप से बनाए रखने में सहायक है। जिससे हाइपर टेंशन रोगी परेशान रहते हैं।
इस तरह यह तमाम तरह के मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। अगर हम मोटे अनाजों के नाम पर सिर्फ गेहूं और चावल न खाकर अपने रोजमर्रा के भोजन में इन मोटे अनाजों को भी शामिल करें तो इनसे होने वाले फायदे कई गुना होंगे।
READ MORE
Beautiful Eyeअलका आर्य, 28, पिछले तीन साल से दवाएँ खा रही हैं। उनका काम भी कुछ ऐसा है कि दिन में 6-7 घंटे कंप्यूटर क्रीन के सामने बैठना पड़ता है। इससे उनकी आँखों की रोशनी प्रभावित हो गयी है। सवाल यह है कि इसे दुरुस्त करने के लिए वह अपने आहार में क्या परिवर्तन करें और कौन-सी साधारण एक्ससाइज़ करें?

शायर यह लिखते-लिखते थक गये हैं ``तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है...'' पर अफसोसनाक सत्य यह है कि हमारे फिटनेस कार्यक्रम में आँखों की देखभाल शामिल ही नहीं की जाती है। हमारे जॉब्स या जीवनशैलियाँ ऐसी हैं कि आँखों पर सबसे ज्यादा ज़ोर पड़ता है, लेकिन हम हैं कि इस समस्या पर आँख भरकर भी नहीं देखते। इससे पहले कि हम अपनी आँखों के प्रति पूर्णत अंधे हो जाएँ, हमें अपनी आँखों की अच्छी देखभाल शुरू कर देनी चाहिए। सबसे पहले तो हमें अपने खाने में निम्न तीन विटामिन विशेष रूप से शामिल करने होंगे-

विटामिन-ए

  • इससे नाइट ब्लाइंडनेस नहीं होती।
  • यह गाजर, एप्रिकोट, टरनिप, हरी पत्तियों की सब्जियों जैसे पालक, बंदगोभी आदि में पाया जाता है।

विटामिन-सी

  • यह ग्लूकोमा व मांसपेशियों के सिकुड़ने के खतरे को कम करता है।
  • यह संतरा, नींबू, पपीता, टमाटर, कैंटालूपे, स्ट्रॉबेरी, आम और बंदगोभी में मिलता है।

विटामिन-ई

  • यह कैटरैक्ट या मोतियाबिंद का खतरा कम करता है।
  • यह बादाम, सूरजमुखी के बीज/तेल, मूंगफली, वनस्पति तेल, मोटे अनाज, व्हीट जर्म, शकरकंदी आदि में पाया जाता है।

साथ ही इन साधारण टिप्स को भी ध्यान में रखें-

  • सुबह ओसभरी घास पर दस मिनट तक नंगे पैर टहलें।
  • अपना मुँह पानी से भर लें और फिर ठंडा पानी अपनी आँखों पर छिड़कें। ऐसा सुबह 3-5 बार करें।
  • आँखों की कोई भी एक्सरसाइज़ करते समय अपनी आँखों पर ज़ोर न डालें। आपके चेहरे की मांसपेशियाँ तनावगस्त नहीं, शांत होनी चाहिए।
  • रोशनी से सीधे संपर्क से बचें। जब धूप या बहुत चमकदार रोशनी में हों तो अपनी आँखों को हमेशा ढककर रखें।
  • अपने लिविंग रूम में बहुत ज्यादा रोशनी या बहुत ज्यादा अंधेरा न रखें।
  • पढ़ते या काम करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि रोशनी का स्रोत आपके पीछे है। अगर उल्टी तरफ रहेगा तो अधिक बेहतर, ताकि किताब/कागज पर छाया न पड़े।
  • दिन भर में ध्यानपूर्वक अपनी आँखों को कम से कम दो या तीन बार धोयें।
  • अपनी आँखों को धूल और धुएँ से बचायें।
  • एलसीडी या प्लैट क्रीन मॉनिटर्स का प्रयोग करें। इनसे आँखों पर जोर कम पड़ता है। सस्ता विकल्प यह है कि अपने मॉनिटर पर एंटी-ग्लेयर लगा लें।
  • वह क्रीन इस्तेमाल करें जिसे ऊँचाई व दिशा के हिसाब से एडजस्ट किया जा सके।
  • अपने कंप्यूटर क्रीन को हाथ भर के फासले पर रखें, अपनी आँखों से या अपनी निगाह के स्तर के बिल्कुल नीचे।
  • कंप्यूटर के फोंट साइज को बढ़ा लें।

आँखों की देखभाल के घरेलू नुस्खे

  • त्रिफला पाउडर में श्च् कप पानी मिला लें। हर सुबह इस मिश्रण से अपनी आँखों को धोयें।
  • रात को 5 बादाम पानी में भिगो दें। सुबह उन्हें छील लें और काली मिर्च या चीनी के साथ मोटा पीस लें। अच्छी तरह से चबायें।
  • रूई के फाये को गुलाब जल में भिगो लें। आँखें बंद करके उन्हें अपनी पलकों पर रख लें। 10 मिनट तक रिलैक्स करें, तुंत तरोताजा महसूस करेंगे।

READ MORE
As split ends are something that makes the hair look unhealthy, it is important to know about the split ends treatment in detail. This article will give you complete information on what you can do to cure as well as prevent hair damage due to the presence of split ends.
Main Causes Which Bring This Ghost To Your Head

   1. As your hair grows, the natural oils from the scalp can fail to reach the ends, making the ends of the hair more vulnerable than the roots.
   2. The ends of your hair have had a long exposure to the sun, gone through many shampoos and been overheated by hairdryers and straighteners, which results in dry and brittle ends which are prone to splitting.
   3. Not trimming your hair regularly is possibly the main cause of split ends. Prevention is better than a cure.
   4. Damage due to colouring when done to excess also causes dry brittle ends.
   5. Poor quality brushes and combs can also cause this problem.

It doesn’t necessarily means that have to go to the salon every week to keep your split ends in check. In earlier times, woman used to burn off their split ends themselves! And when I heard this I thought of bringing this revolution again into this Era, brought something new to this fashion & beauty industry so started cutting hair with Candle, its cool, fun & creative! Imagine using fire instead of Scissors, but you don’t have to scared I will not advising you to do this at home and get entry into Records book.

Hey! Not to worry, there are easier ways to get rid of your dead ends before they split further… DIY (do-it-yourself) hair trims. Don’t be afraid, most of women do it.

These DIY hair trimming tips are for woman who are happy with their hair; for those who don’t need a re-style, but simply want to freshen things up with a ‘homegrown’ sort of look. Still! If you are in any doubt, leave it for the professionals.
Tips To Get Rid Of This Nightmare

Apart from the above given split end treatment measures, there are some more things that one has to keep in mind to avoid the occurrence of split ends in the hair.

   1. Use specialist products that are designed to seal the splits temporarily in order to catch any splits that are shorter than the length you want to cut your hair to and to allow your hair to grow a little longer before you trim.
   2. Go for deep conditioning treatment every week, if possible and especially if your hair is prone to splitting, chemically treated or treated by ceramic straighteners. Conditioning is mandatory every time you have a chemical.
   3. Have a Trim regularly.
   4. Avoid excess heat and too much brushing and combing and please don’t brush, scratch or shampoo hair and scalp before any chemical service. Never hesitate to Invest in quality combs and real bristle brushes.
   5. Do shampoo your hair after a workout or strenuous exercise. The salt from perspiration will erode your hair. If you work out more than once a week, consult your stylist for your particular needs.

What ever you do, if you want to keep your hair long, don’t ignore split ends because, as they split they also break away, meaning that your hair is in effect getting shorter every time you brush it and also means that your hair population is going down.
READ MORE
जब भी धूप में बाहर निकलें, आँखों पर आई प्रोटेक्टिव क्रीम व धूप का चश्मा लगाकर निकलें। गर्मियों में आँखों का हल्का मेकअप ही करें। धूप से आकर आँखों में गुलाब जल को रुई में भिगोकर 4-5 मिनट तक रखें। साफ कपड़े को पानी में भिगोकर इसे आँख पर रखने से भी आँखों की जलन शांत हो जाती है। आँखों को ठंडे पानी से धोते रहें। आँखों में जलन होने पर खीरे या बर्फ के क्यूब्स आँखों पर रखें। 
प्रतिदिन हरी घास पर नंगे पैर चलें। भरपूर नींद लें।त्रिफला भिगोकर रख दें। फिर इसे छानकर इस पानी से आँख धोएँ । इससे आँखों की थकान से राहत मिलेगी।यदि आँख में पानी आ रहा है तो राई पावडर को शहद में मिलाकर सूँघें।यदि आँख में खुजली हो रही है, तो अंगूर के रस को अंजन के तौर पर लगाने से यह बंद हो जाती है। यदि आँखों में दर्द का एहसास हो रहा है तो सेब छीलकर पीसकर इसे लगाएँ। गाय का कच्चा दूध भी आँखों के लिए लाभदायक होता है।
READ MORE
अलसी विटामिन, मिनरलों से भरपूर एक शक्तिवर्धक आहार है। गाँधीजी कहते थे- जिस घर में अलसी का सेवन होता हो वह परिवार सुखी और समृद्ध रहता है। प्राचीनकाल में अलसी का प्रयोग खाद्य के रूप में होता था। कालांतर में इसे भुला दिया गया। आयुर्वेद में भी चरक संहिता में इसके चिकित्सा इस्तेमाल का काफी उल्लेख है। अलसी के प्रयोग की नई अवधारणा पश्चिम से आई है।

अलसी में ओमेगा-3 लिनोलेनिक एसिड होता है। यह इसके अलावा मछली में मिलता है। इसलिए शाकाहारियों के लिए अलसी, मछली के समान पौष्टिक है।

ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फेटी एसिड्स शरीर के लिए अतिआवश्यक हैं। ओमेगा-6 मूँगफली, सोयाबीन, सनफ्लॉवर और मकई के तेल में प्रचुर होते हैं। ओमेगा-3 मस्तिष्क, स्नायुतंत्र व आँखों के विकास में योग देता है। ओमेगा-3 शरीर में नहीं बनता, इसे आहार के रूप में ही लेना पड़ता है। ओमेगा-3 की कमी से उच्च रक्तचाप, मधुमेह टाइप-2, आर्थराइटिस, मोटापा, कैंसर, हृदय रोग,जोड़ों का दर्द, सिजोफेर्निया आदि रोग होने का खतरा रहता है।

अलसी रक्त में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ाती है। ट्रायग्लिसराइड व खराब कोलेस्ट्रॉल घटाती है।यह धमनियों में खून के थक्के जमने से रोकती है और हृदयाघात से बचाती है।अलसी हृदय की गति को भी नियंत्रित करती है। सौ ग्राम अलसी में प्रोटीन 20.3 प्रश, फेट 37.1, मिनरल 2.4, फाइबर 4.8 और कार्बोहाइड्रेट्स 28.9 प्रतिशत होते हैं। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटिन, थायमिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन पाए जाते हैं।

यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा के उपचार में उपयोगी है।
READ MORE
कमर दर्द का मुख्य कारण मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव होता है। जोड़ों में खिंचाव से भी यह होता है। कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। अधिक वजन होने से भी कमर दर्द होता है। गलत तरीके से बैठने से कमर दर्द होता है। हमें सीधा बैठना व सीधा चलना चाहिए। लेटकर टी.वी. देखना, लेटकर पढ़ना भी दर्द का मुख्य कारण है। ऊँची एड़ी के जूते पहनने से कमर दर्द हो सकता है।
बिस्तर रूई या टाट का होना चाहिए। कुर्सी अधिक नरम नहीं होना चाहिए। तनाव के कारण भी दर्द होता है। व्यायाम या योगाभ्यास नहीं करने वालों को भी कमर दर्द होता है। गलत तरीके से खड़ा रहना, कार चलाना, काम करना, व्यायाम करना, योगाभ्यास करना, सोना, भारी सामान उठाना आदि भी दर्द का कारण हो सकता है।
कमर दर्द को रोकने के लिए -

सीधा चलना, सीधा बैठना, लेटकर नहीं पढ़ना, टी.वी. आदि लेट कर नहीं देखना चाहिए। भारी चीजों को या किसी सामान को नीचे से उठाते समय अपनी उम्र के अनुसार, पहले घुटने को झुकाकर फिर उठाना चाहिए। कार चलाते वक्त सीट सख्त होना चाहिए व स्टेयरिंग के पास बैठना चाहिए। खड़े रहते समय पैरों के आगे के भाग पर वजन रखकर खड़े होना चाहिए। पेट के बल नहीं सोना चाहिए। करवट से सोते वक्त घुटने को थोड़ा मोड़कर सोना चाहिए। अधिक काम करने के बाद थोड़ा आराम करना चाहिए।
READ MORE
गहरे हरे रंग की पत्तियों वाले पुदीने की उत्पत्ति योरप से मानी गई है। प्राचीन काल में रोम, यूनान, चीनी और जापानी लोग पुदीने का प्रयोग विभिन्न औषधियों के तौर पर किया करते थे। इन दिनों भारत, इंडोनेशिया और पश्चिमी अफ्रीका में बड़े पैमाने पर पुदीने का उत्पादन किया जाता है।

खासकर गर्मियों में पैदा होने वाला पुदीना औषधीय और सौंदर्योपयोगी गुणों से भरपूर है। इसे भोजन में रायता, चटनी तथा अन्य विविध रूपों में उपयोग में लाया जाता है।

औषधीय गुण
पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नीबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की हर बीमारियों में आराम दिलाता है।

पुदीने का रस कालीमिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खाँसी और बुखार में राहत मिलती है।

इसकी पत्तियाँ चबाने या उनका रस निचोड़कर पीने से हिचकियाँ बंद हो जाती हैं।

सिरदर्द में ताजी पत्तियों का पेस्ट माथे पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।

मासिक धर्म समय पर न आने पर पुदीने की सूखी पत्तियों के चूर्ण को शहद के साथ समान मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार नियमित रूप से सेवन करने पर लाभ मिलता है। पेट संबंधी किसी भी प्रकार का विकार होने पर एक चौथाई चम्मच पुदीने के बीज खाएँ अथवा 1 चम्मच पुदीने के रस को 1 कप पानी में मिलाकर पिएँ।

अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और 1/2 छोटी इलायची पावडर को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है। पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुख की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं। एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच सिरका और एक चम्मच गाजर का रस एकसाथ मिलाकर पीने से श्वास संबंधी विकार दूर होते हैं।

पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है। पुदीने का रस रोज रात को सोते हुए चेहरे पर लगाने से कील, मुहाँसे और त्वचा का रूखापन दूर होता है।
READ MORE
खूबसूरत और आकर्षक चेहरा हर किसी को प्रभावित करता है। अपनी सुंदरता को निखारने के लिए आप घर व बाहर दोनों प्रकार के प्रसाधनों का उपयोग कर सकती हैं। आइए जानते हैं इसी बारे में कुछ बातें :-

गर्मी से बचाव
अगर कहीं बाहर जाना हो तो सनस्क्रीन लगाकर निकलें व छाते का प्रयोग करें। धूप और प्रदूषण से बालों पर बुरा असर पड़ता है। अतः हमेशा चेहरे व बालों को बाँधकर घर से निकलें। धूप के संपर्क में आने वाले शरीर के हिस्सों पर अच्छी तरह से सनस्क्रीन लगाएँ।

लहराती चमकदार जुल्फें

ND
बालों की खूबसूरती बरकरार रखने के लिए हर 15 दिन में मेहँदी का प्रयोग अवश्य करें। यह बालों के लिए कंडीशनर का काम करेगी। इसके अलावा सप्ताह में एक बार अंडे और दही का प्रयोग करना भी बालों की सेहत के लिए फायदेमंद रहेगा।

बेसन, नीबू का रस और दही इन सबको समान मात्रा में लेकर बालों में मसाज करें, फिर बालों को धो लें। आखिर में बालों को नीबू के पानी से फाइनल रिंस करें।

1 कटोरी मेहँदी में आँवला, शिकाकाई, रीठा, मैथी, नीम, तुलसी सभी 1-1 चम्मच लेकर दही में मिलाएँ, आधा नीबू का रस भी मिलाकर बालों में लगाएँ, 1 घंटा लगा रहने दें। यह बालों में मजबूती लाएगा और बालों में चमक भी बनी रहेगी।

थोड़े से गर्म पानी में नीबू का रस मिलाकर उस पानी से बालों को फाइनल रिंस करें। रुखे और बेजान बालों में इसमें नई चमक आ जाएगी।

दमकती खिली-खिली त्वचा
ND
गर्मी के दिनों में चेहरे पर ताजगी लाने के लिए दो चम्मच बेसन, हल्दी पावडर, गुलाब जल व शहद मिलाकर लेप बनाएँ। इसे चेहरे व हाथ-पैरों और गर्दन पर लगाएँ व 10 मिनट बाद धो लें। इससे त्वचा सुंदर व स्वस्थ बनी रहेगी।

आँखों में जलन व काले घेरों को कम करने के लिए रात को सोते समय आँखों पर ठंडे दूध में रुई भिगोकर रखें।

होठों को सुंदर और मुलायम बनाए रखने के लिए रात को सोते समय दूध की मलाई लगाएँ, सुबह ठंडे पानी से धो लें।

कच्चे दूध में हल्दी डालकर पेस्ट बनाएँ। इसे चेहरे और हाथ-पैरों पर लगाएँ। 10 मिनट बाद धो लें। त्वचा निखर उठेगी।

8-10 दिन में एक बार चेहरे को भाप अवश्य दें। इस पानी में पुदीना, तुलसी की पत्ती, नीबू का रस व नमक डालें। भाप लेने के बाद इसी गुनगुने पानी में 5 मिनट के लिए हाथों को रखें। हाथ मुलायम हो जाएँगे।

दही में मुल्तानी मिट्टी, संतरे का पावडर व शहद मिलाकर रोज 5 मिनट चेहरे पर लगाएँ।
READ MORE
'डिप्रेशन' समेत कई मेंटल डि‍सीज के कारण विश्व में हर साल करीब दस लाख लोग सोसाइड कर लेते हैं। ज्‍यादातर सोसाइड केसेज का कारण बनने वाले इस वायरस यानी कि‍ डि‍प्रेशन को कंट्रोल करने के लिए 'मन दर्शन' नाम की नई मैथड की खोज की गई है। इस मैथड से मनोशिक्षा यानी सायकि‍कल एजुकेशन के माध्यम से पॉजि‍टि‍व एनर्जी और थोट्स को बढ़ाया जा सकता है।

यही नहीं इससे मानसिक प्रक्रियाओं में गलत विचार को आने से रोका जा सकता है। 'मन दर्शन' से मानसिक बीमारी से बचा जा सकेगा। जाने-माने मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक श्रीवास्तव का दावा है कि इस विधि से मरीज की अंतर्दृष्टि का विकास होता है। उन्होंने दावा किया कि इस विधि को अपनाने से मानसिक रोगी अपने मन पर नियंत्रण पाने में धीरे-धीरे सफल हो जाते हैं।

इस विधि को सर्वाधिकार 'पेटेंट' प्राप्त हुआ है। श्रीवास्तव ने बताया कि अवसाद और अन्य मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 'मन दर्शन' विधि को व्यापकता दी जाएगी।

इंटरनेट के साथ ही इसके प्रचार-प्रसार के लिए अन्य तरीके भी अपनाए जाएँगे। उदासी, निराशा, काम में मन नहीं लगना, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, अतिभावुकता, रोना और आत्महत्या के विचार आने जैसी मानसिक विकारों को रोकने में यह विधि 'रामबाण' साबित हो सकती है।

उन्होंने कहा कि मानसिक रोग के मनोसामाजिक मनोजैविकी और व्यक्तित्व विकार यह तीन प्रमुख कारण होते हैं। मनोसामाजिक की वजह घटना, दुर्घटना या आपदा हो सकती है। इस विधि से बहुत ही कम समय में अच्छे परिणाम आते हैं। मरीज अपने मन पर इस प्रकार सक्रिय नियंत्रण रख पाता है कि उसका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और बीमारी दोबारा उस व्यक्ति पर हावी नहीं हो पाती है।

सायकायट्रि‍स्‍ट के मुताबिक मन दर्शन की तकनीक को मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में एक क्रांतिकारी अन्वेषण बताया गया है।
READ MORE
चेहरे को दागदार करने वाले मुहाँसों का वैज्ञानिकों ने एक सफल इलाज खोज निकाला है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि माँ का दूध और नारियल के तेल में मुहाँसों से लड़ने के गुण मौजूद है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में प्रमाणित किया है कि ब्रेस्ट मिल्क और नारियल के तेल में मौजूद लॉरिक एसिड मुहाँसों से लड़ते है और उन्हें जड़ से मिटाने में कामयाब होते है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक मुहाँसों से लड़ने वाले इस ट्रीटमेंट से किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट होने का खतरा नहीं है। इसे लगाने से चेहरे पर किसी तरह की जलन या दाग आने का खतरा नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आजकल 85 फीसदी टीनएजर्स मुहाँसों की समस्या का सामना कर रहे हैं।

इसे चेहरे पर लगाने से इन युवाओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे अच्छी फीलिंग होगी। इस क्रीम में किसी भी तरीके की गंध का अनुभव नहीं होगा। इसे चेहरे पर लगाना बेहद आसान है। शोधकर्ताओं के मुताबिक नैनो पार्टीकल तकनीक मुहाँसों के उपचार में सहायक सिद्व होगा।
READ MORE
* हमारे पाँच सेंस हैं, इनका संयम आवश्यक है।

* सोने से पहले पैरों को धोकर पोंछ लें, कोई अच्छी हेल्थ रिलेटेड बुक पढ़ें,भगवान को याद करते हुए सोने से नींद अच्छी आती है।

* डिनर अगर हेवी है तो सोने से तीन घण्टे पहले करना। फल, दूध लेने के शौकीन एक घण्टा पहले भोजन खत्म कर दें।

* सोते समय मुँह ढँककर नहीं सोना चाहिए। खिड़कियाँ खोल कर सोना चाहिए।

* सोने की जगह बहुत मुलायम न हो।

* रात्रि के दस बजे तक सो जाना सेहत के लिए अच्छा होता है।

* दिन में एक बार खुलकर हँसने और दूसरों की मदद करने की फीलिंग्स रखने से मन में अच्छे विचार आते हैं जो हेल्थ के लिए बेहतर होते हैं।

* सातों स्वरों का प्रभाव और सम्बन्ध वात, पित्त और कफ से रहता है। रोग और दोष के अनुकूल स्वरों का विशेष प्रयोग करते हुए, संगीत उपचार द्वारा कई रोगों की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है।
READ MORE
इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक संतुलित डाइट न केवल आपके सेहत के लिए लाभप्रद है बल्कि यह आपके स्किन के लिए फायदेमंद है। एक तनावपूर्ण जिंदगी और एक उचित डाइट की कमी के कारण आपकी त्वचा रूखी हो जाती है और कई त्वचा की परेशानियाँ उत्पन्न होने लगती हैं जैसे रैशेज, रूखापन, आँखों के नीचे काले घेरे और मुँहासे आदि।

वैसे अन्य कई कारण भी हैं जो हमारी त्वचा को नुकसान पहुँचाते हैं। हार्मोनल परिवर्तन, जेनेटिक समस्या स्किन को प्रभावित करती हैं।

लेकिन 70 प्रतिशत से अधिक परिस्थितियों में त्वचा रोग के लिए गलत डाइट ही जिम्मेदार होता है। वैसे तो विभिन्न प्रकार की त्वचा के लिए विभिन्न डाइट्स की जरूरत होती है। लेकिन एक स्वस्थ त्वचा के लिए आवश्यक चीजों की सूची निम्नलिखित हैः

* आपको अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। क्योंकि पानी ही स्किन के लिए एक सर्वश्रेष्ठ औषधि है। यह न केवल आपको रिफ्रेश करता है बल्कि आपकी त्वचा को एक अद्भूत चमक प्रदान करता है।

* जिस तरह हमारे शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत है ठीक उसी तरह हमारे स्किन के लिए विटामिन की आवश्यकता है। कुछ विटामिन के नाम निम्नलिखित है जो आपकी त्वचा की चमक को बरकरार रखने में मदद करता है।



1. विटामिन सी : यह सभी रसदार फलों में पाया जाता है जैसे संतरा, नींबू, मौसंबी

2. विटामिन ए : इसके प्रमुख स्रोत हैं- पपीता, संतरा, एगयॉर्क

3. विटामिन बी : यह फलों सहित सभी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है।

4. विटामिन ई : यह मूँगफली, और अन्य आइल सीड्स में पाया जाता है।

एक स्वस्थ स्किन को बनाए रखना इतना मुश्किल नहीं है। बस जरूरत है तो स्किन का ध्यान रखने की, और अपने खाने में सभी जरूरी तत्वों को शामिल करने की। आप एक डाइट स्पेशलिस्ट के पास जा सकते हैं और अपने लिए एक संतुलित डाइट चार्ट भी बनवा सकते हैं।
READ MORE
यह मौसम हेल्थ और स्किन केयर माँगता है। इस मौसम में ब्यूटी को बनाए रखने के लिए करें बस थोड़ा-सा जतन ताकि बढ़ जाए देखने वालों की जलन। छोटे-छोटे घरेलू टिप्स आजमाएँ और खिल जाएँ फूलों-सी :

प्यार करें चेहरे से : चेहरे की त्वचा के पोषण के लिए गाजर को कद्दूकस करके अच्छी तरह से पीस लें। इसमें जरा सा शहद मिलाकर त्वचा पर लगाएँ। इससे त्वचा को भरपूर पोषण मिलता है क्योंकि गाजर में विटामिन-ए पर्याप्त मात्रा में होता है। चेहरे की त्वचा के दाग-धब्बे हटाने के लिए पपीते के गूदे का पेस्ट बनाकर पूरे चेहरे पर मलें। दस मिनट बाद चेहरा धो लें। इसे कुछ महीने तक इस्तेमाल करने पर झाँइयाँ और कालापन भी मिट जाता है,साथ ही दाग-धब्बे भी दूर हो जाते हैं।

नाजुक लबों के लिए : होंठों के सौंदर्य और कोमलता बरकरार रखने के लिए गुलाब की हरी पत्तियों में थोड़ा दूध मिलाकर अच्छी तरह से बारीक पीस लें। इस पेस्ट को होंठों पर और चेहरे पर भी लगाएँ। इससे होंठों पर निखार आ जाएगा और चेहरे की रंगत भी काबिले तारीफ हो जाएगी।


दमकती स्किन के लिए : त्वचा को सुंदर बनाने के लिए संतरे के छिलकों के पाउडर में एक चम्मच दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। कुछ सप्ताह के प्रयोग से त्वचा निखर उठती हैं। खीरे के रस में नींबू का रस और गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। इससे भी त्वचा सुंदर बनती है।

ये है होम सनस्क्रीन : लाल चंदन, मुलहठी, अनंत मूल, खस, हल्दी- ये सब चीजें बराबर मात्रा में लेकर महीन पावडर बना लें। इसमें से एक चम्मच पावडर को रात के समय शहद या कच्चे दूध में मिलाकर पेस्ट बनाएँ और चेहरे एवं गर्दन पर लगाएँ। सुबह गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। यह उपाय रोजाना करने से चेहरे की त्वचा की धूप से रक्षा होती है।

साँवली-सलोनी : साँवली त्वचा को निखरी रंगत देने के लिए लोध, मजीठ, हल्दी, चिरौंजी 50-50 ग्रा. लेकर पावडर बना लें। अब एक शीशी गुलाब जल, 250 ग्रा. शहद या एक-एक चम्मच सब चीजों को मिलाकर इसमें 6 चम्मच शहद मिलाएँ और नींबू का रस तथा गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बाँहों पर लगाएँ और एक घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का साँवलापन दूर होकर रंग गोरा हो जाता है।
READ MORE
गर्मी की दस्तक के साथ ही सेहत की परेशानियाँ बढ़ने लगती है। लेकिन यही मौसम खिलने और खुल कर जीने का भी होता है। हेल्थ की हल्की-फुल्की बातों का रखें ख्याल और लुत्फ उठाएँ गर्मी का बेशुमार:

* त्वचा को रूखेपन से बचाने के लिए पानी खूब पीएँ। दिन में कई बार ठंडे पानी से चेहरा धोएँ, लेकिन साबुन का प्रयोग हर बार न करें।

* चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ जाते हैं, उन्हें मिटाने के लिए नींबू के ऐ छिलके पर चीनी के कुछ दाने डालकर उसे तब तक हलके हाथ से त्वचा पर मलते रहें, जब तक चीनी घुल नहीं जाती। यह तरीका काली कोहनियों व हाथ-पैरों की त्वचा पर आजमाएँ।

* कुनकुने पानी में शहद डालकर सुबह सेवन करने से हाजमा अच्छा रहता है व वजन भी संतुलित रहता है।


* सुबह उठने पर आँखें सूजी हों तो पानी में थोड़ी चाय की पत्ती उबालें फिर उसे छानकर ठंडा कर रूई के फाहे से आँखों पर लगाएँ, सूजन फौरन खत्म हो जाएगी।

* टमाटर का टुकड़ा लेकर चेहरे पर हलके-हलके मसाज करें, चेहरे की सारी गंदगी साफ हो जाएगी।

* भोजन में ज्यादा तेज मिर्च-मसाला खाने से पसीना दुर्गंधमय हो जाता है, इससे बचने के लिए नहाते समय पानी में थोड़ा यूडी कोलोन या गुलाबजल डालकर नहाएँ। कपड़े से पसीने की दुर्गंध हटाने के लिए धोने के बाद कपड़ों को सिरका मिले पानी से निकालकर सुखाएँ।
READ MORE
आप शीर्षक पढ़कर चौंक गए होंगे कि भला सेक्स रोगों की दवा हो सकता है? इसमें चौंकने की कोई बात नहीं है। डॉक्टरों व वैज्ञानिकों ने शोध करके यह पता लगाया है कि सेक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहाँ जीवन में सेक्स एक-दूजे के बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं एक-दूजे की हेल्थ व ब्यूटी को भी बनाए रखता है। सेक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। सेक्स से शरीर में उत्पन्न एस्ट्रोजन हार्मोन 'ऑस्टियोपोरोसिस' नामक बीमारी नहीं होने देता है। सेक्स से एंडोर्फिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे स्किन सुंदर, चिकनी व चमकदार बनती है। एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर के लिए एक चमत्कार है, जो एक अनोखे सुख की अनुभूति कराता है।

सफल व नियमित सेक्स करने वाले मैरिड कपल अधिक स्वस्थ देखे गए हैं। उनका सौंदर्य भी लंबी उम्र तक बना रहता है। उनमें उत्तेजना, उत्साह, उमंग और आत्मविश्वास भी अधिक होता है। सेक्स से परहेज करने वाले शर्म, संकोच, अपराधबोध व तनाव से पीड़ित रहते हैं। दिमाग को तरोताजा रखने व तनाव को दूर करने के लिए नियमित सेक्स एक अच्छा उपाय है। सेक्स के समय फेरोमोंस नामक रसायन शरीर में एक प्रकार की गंध उत्पन्न करता है, जिसे आप सेक्स परफ्यूम भी कह सकते हैं। यह सेक्स परफ्यूम दिल व दिमाग को असाधारण सुख व शांति देता है। सेक्स हृदय रोग, मानसिक तनाव, रक्तचाप और दिल के दौरे से दूर रखता है। सेक्स से दूर भागने वाले इन रोगों से अधिक पीड़ित रहते हैं।

सेक्स व्यायाम भी है :
सेक्स एक प्रकार का व्यायाम भी है। इसके लिए खास किस्म के सूट, शू या महँगी एक्सरसाइज सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है बस शयनकक्ष का दरवाजा बंद करने की। सेक्स व्यायाम शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को दूर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार की संभोग क्रिया, किसी थका देने वाले व्यायाम या तैराकी के 10-20 चक्करों से अधिक असरदार होती है। सेक्स एक्सपर्ट्स के अनुसार मोटापा दूर करने के लिए सेक्स काफी सहायक सिद्ध होता है।

सेक्स से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कि चर्बी घटती है। एक बार की संभोग क्रिया में 500 से 1000 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। सेक्स के समय लिए गए चुंबन भी मोटापा दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय लिए गए एक चुंबन से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। इस तरह 390 बार चुंबन लेने से 1/2 किलो वजन घट सकता है।
READ MORE