टीबी यानी तपेदिक की जांच के लिए अपनाई जाने वाली एमटीबी पद्धति में इसके वायरस की प्रतिरोधकता का अंदाजा नहीं लग पाता।

लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मॉलिक्यूलर टेस्ट तलाशा है, जिसकी बदौलत बड़ी आसानी से और कुछ ही समय में न सिर्फ इस बीमारी की, बल्कि इसके वायरस की दवाओं से प्रतिरोधकता की पहचान भी हो सकती है।

इस टेस्ट से बीमारी की 98 फीसदी सही पहचान संभव है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि टीबी का बैक्टीरिया रिफामेपिन नाम की दवा के प्रति कैसा व्यवहार करेगा। यह जांच इतनी सस्ती है कि विकासशील देशों में भी इसका इस्तेमाल सुविधाजनक रूप से किया जा सकता है।

0 comments:

Post a Comment