गाँव के लोगों द्वारा गुदवाए जाने वाले गोदने अब टैटू बन चुके हैं। इसका क्रेज दुनिया भर में छाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा टैटू गुदवाने से आपकी स्किन असंवेदी हो जाती है। ठेठ भाषा में कहें, तो आपकी चमड़ी बेशरम हो जाती है।

टैटू एक फैशन
पहले गोदना गुदवाना फैशन में नहीं था, मगर अब नए अवतार टैटू के रूप में यह एक फैशन बन गया है। कुछ लोग तो पूरे शरीर पर टैटू गुदवाते हैं। पर हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि टैटू गुदवाने से त्वचा की संवेदना में कमी आती है। उत्तरी कोलेरैडो विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र टॉड एलन ने इस अध्ययन के दौरान 54 लोगों की त्वचा की संवेदनशीलता का मापन किया, जिनमें से 30 ने टैटू गुदवाए हुए थे। त्वचा की संवेदनशीलता के मापन हेतु एक सरल-से उपकरण एस्थेसियोमीटर का इस्तेमाल किया जाताहै। यह डिवाइडर जैसा एक उपकरण है, जिसमें प्लास्टिक की दो नोक होती हैं।

संवेदनशीलता की जाँच के लिए इन दोनों नोकों को व्यक्ति की त्वचा पर स्पर्श किया जाता है और उसे यह बताना होता है कि दो नोक छुआई गई हैं या एक। धीरे-धीरे इन नोकों के बीच दूरी बढ़ाई जाती है और तब तक बढ़ाई जाती है जब तक कि दोनों का एहसास अलग-अलग न होने लगे। जितनी कम दूरी पर दोनों नोकें अलग-अलग महसूस हों, संवेदनशीलता उतनी अधिक है।

एलन ने शरीर के पाँच हिस्सों पर त्वचा की संवेदनशीलता नापी- कमर, पिंडली के अंदर वाले भाग, भुजा के अंदर वाले भाग, तर्जनी उँगली का सिरा और गाल। देखा गया कि जिन व्यक्तियों ने टैटू करवाया था उनकी बगैर टैटू वाली त्वचा की संवेदनशीलता और पूरी तरह बगैर टैटू वाले लोगों के उसी हिस्से की त्वचा की संवेदनशीलता में कोई अंतर नहीं था। मगर टैटूयुक्त हिस्से की संवेदनशीलता काफी कम थी। टैटू के कारण त्वचा की संवेदनशीलता पर असर पड़ने के कई कारण हो सकते हैं। एक तो यह हो सकता है कि गोदने की बारंबार की जाने वाली क्रिया उस हिस्से की तंत्रिकाओं को सुन्न कर देती हो। या यह भी हो सकता है कि गोदने के साथ जो स्याही इंजेक्ट की जाती है, वह स्पर्श के एहसास को कुंद करती हो या यह भी संभव है कि स्याही की सुई स्पर्श ग्राहियों को नुकसान पहुँचाती हो। इसलिए सुझाव यही है कि टैटू से बचा जाए।

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