अभी तक अक्सर ये चर्चा होती रही है कि कुछ महिलाओं में एक ऐसा स्थान होता है जो उन्हें यौन का चरम सुख देने में मदद करता है और इस स्थान को जी-स्पॉट कहा जाता है.
लेकिन अब कुछ शोधकर्ताओं ने कहा है कि ऐसा कोई स्थान होता ही नहीं है और यह सिर्फ़ एक भ्रम है. इन शोधकर्ताओं ने अनेक महिलाओं में यह स्थान यानी जी-स्पॉट को ढूँढने की कोशिश की है लेकिन ऐसा कोई बिंदु नहीं मिला है.
इस आशय के एक अध्ययन का परिणाम जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन को इस विषय पर अभी तक का सबसे बड़ा कहा जा रहा है जिसमें 1800 महिलाओं को शामिल किया गया.
लंदन के प्रतिष्ठित किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों के इस दल का विश्वास है कि जी-स्पॉट महिलाओं की कल्पना का नतीजा मात्र हो सकता है जिसे यौन विषयों को बेचने वाली पत्रिकाओं और यौन आनंद के तरीके बताने वाले तथाकथित विशेषज्ञों ने इतना बढ़ावा दिया कि ये एक सच नज़र आने लगा.
इस अध्ययन में ऐसी महिलाओं को चुना गया जो जुड़वाँ थीं और उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें पता है कि उनके भीतर जी-स्पॉट है.
अगर जुड़वाँ बहनों में से किसी एक में जी-स्पॉट होता तो ऐसी उम्मीद की जाती है कि दूसरी में भी होना चाहिए क्योंकि जुड़वाँ लोगों में एक ही तरह के जीन होते हैं. लेकिन यह सिलसिला नहीं पाया गया.
इस शोध की रिपोर्ट के सहलेखक प्रोफ़ेसर टिम स्पैक्टर का कहना था, "कुछ महिलाएँ ये दलील दे सकती हैं कि विशेष खान-पान और कसरत की वजह से जी-स्पॉट बन सकता है लेकिन असल में जी-स्पॉट जैसी किसी चीज़ के कोई निशान ही नहीं मिल सके हैं."
उन्होंने कहा कि यह शोध इस विषय पर अब तक का सबसे बड़ा है और इससे प्रकट होता है कि जी-स्पॉट का विचार सिर्फ़ व्यक्तियों के निजी अनुभव पर आधारित होता है.
दबाव ठीक नहीं
प्रोफ़ेसर टिम स्पैक्टर के एक सहयोगी एंड्री बर्री इस बात पर चिंतित थीं कि ऐसी महिलाएँ जो ये सोचती हैं कि उनके अंदर जी-स्पॉट नहीं है, वो ख़ुद को यौन संबंधों के लिए अनुपयुक्त समझ सकती हैं, जबकि इस फिक्र की कोई ज़रूरत नहीं है.
एंड्री बर्री का कहना था, "ऐसी किसी चीज़ की मौजूदगी का दावा करना ग़ैरज़िम्मेदारी की बात है जिसका वजूद कभी साबित ही नहीं हुआ है और इससे महिलाओं और पुरुषों दोनों पर ही व्यर्थ में ही दबाव बनता है."
लेकिन जी-स्पॉट को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली यौन मामलों कr विशेषज्ञ बेवरली व्हीप्पल का कहना है कि इस ताज़ा अध्ययन में कोई ना कोई कमी ज़रूर है जो जी-स्पॉट के अस्तित्व को ही नकारा जा रहा है.
उनका कहना था कि इस अध्ययन में समलैंगिकों के बीच बनने वाले आनंददायक यौन संबंधों को नज़रअंदाज़ किया गया है.
प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में यौन मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर पीटर बॉयंटन का कहना था, "अगर आप जी-स्पॉट का पता लगाना चाहते हैं तो कोई हर्ज नहीं है लेकिन अगर आपको कोई जी-स्पॉट नहीं मिलता है तो ज़्यादा परेशान भी ना हों. सिर्फ़ इसी बात पर ध्यान केंद्रित नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया में हर एक व्यक्ति की बनावट अलग होती है."
ग्रेफ़ेनबर्ग स्पॉट यानी जी-स्पॉट नाम जर्मन गॉयनीकोलॉजिस्ट यानी स्त्री रोग विशेषज्ञ अर्नेस्ट ग्रेफ़ेनबर्ग के सम्मान में दिया गया था. उन्होंने क़रीब 50 वर्ष पहले इस यौन बिंदु के बारे में विस्तार से लिखा था.
इतालवी वैज्ञानिकों ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने अल्ट्रासाउंड तकनीकों का इस्तेमाल करके जी-स्पॉट के सही स्थान का पता लगा लिया है. इन वैज्ञानिकों का कहना था कि महिलाओं में चरम यौन सुख का संचार करने वाले तंतुओं में एक मोटा तंतु होता है और वही जी-स्पॉट कहा जाता है. लेकिन विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इन अलग-अलग दावों के लिए कुछ अन्य कारण भी ज़िम्मेदार हो सकते हैं.


0 comments:

Post a Comment