खुशखबरी, स्तन कैंसर मरीजों के लिए आई नई दवा
Shweta Pandey | 6:38 AM |
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स्तन कैंसर
स्तन कैंसर मरीजों के लिए एक खुशखबरी है। स्तन कैंसर के बेहतर इलाज के लिए फ्लोरिडा स्थित मायो क्लीनिक के शोधकर्ताओं ने एक नई दवा बनाई है। इस नई दवा के बारे में प्रमुख शोधकर्ता एडिथ परेज ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई दवा का नाम टी-डीएम1 है, जो दो दवाओं के मिश्रण से बनाई गई है।
कैंसर के इलाज के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवाओं में इस तरह मिश्रण कर बनाई गई यह पहली दवा है। टी-डीएम1 को ट्रांसतुजुमाब और कीमोथेरेपी एजेंट डीएम1 के मिश्रण से बनाया गया है। ये दोनों दवाएं पहले से ही कैंसर के इलाज में प्रयोग में लाई जाती हैं। प्रो. परेज ने बताया कि कैंसर के क्षेत्र में पहली बार इस तरह की कोई दवा बनाई गई है और यह अन्य दवाओं के मुकाबले ज्यादा प्रभावी भी है।
परेज ने बताया कि स्तन कैंसर रोगियों में ट्यूमर को समाप्त करने में उनकी यह नई दवा बहुत कारगर है। इसके लिए उन्होंने इसकी चिकित्सीय जांच भी की है। इसके लिए उन्होंने 137 स्तन कैंसर पीड़ित मरीजों को शामिल किया। मरीजों को दो वर्गों में बांटने के बाद उन्होंने लगातार छह महीनों तक मरीजों को टी-डीएम1 और ट्रांसतुजुमाब दवा खिलाई। इसके बाद उन्होंने पाया कि केवल ट्रांसतुजुमाब दवा खाने वाले 41 फीसदी मरीजों को फायदा हुआ, जबकि टी-डीएम1 खाने वाले 48 फीसदी मरीजों को तत्काल फायदा हो रहा था।
परेज ने बताया कि यह दवा उन मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद है, जिन्हें अन्य ट्रीटमेंट से फायदा नहीं मिल रहा हो। उन्होंने बताया कि आमतौर पर कैंसर मरीजों के लिए स्टेज-3 काफी खतरनाक होता है, लेकिन इसके खात्मे के लिए भी उनकी टीम एक शोध में जुटी है और जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा।
कैंसर के इलाज के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवाओं में इस तरह मिश्रण कर बनाई गई यह पहली दवा है। टी-डीएम1 को ट्रांसतुजुमाब और कीमोथेरेपी एजेंट डीएम1 के मिश्रण से बनाया गया है। ये दोनों दवाएं पहले से ही कैंसर के इलाज में प्रयोग में लाई जाती हैं। प्रो. परेज ने बताया कि कैंसर के क्षेत्र में पहली बार इस तरह की कोई दवा बनाई गई है और यह अन्य दवाओं के मुकाबले ज्यादा प्रभावी भी है।
परेज ने बताया कि स्तन कैंसर रोगियों में ट्यूमर को समाप्त करने में उनकी यह नई दवा बहुत कारगर है। इसके लिए उन्होंने इसकी चिकित्सीय जांच भी की है। इसके लिए उन्होंने 137 स्तन कैंसर पीड़ित मरीजों को शामिल किया। मरीजों को दो वर्गों में बांटने के बाद उन्होंने लगातार छह महीनों तक मरीजों को टी-डीएम1 और ट्रांसतुजुमाब दवा खिलाई। इसके बाद उन्होंने पाया कि केवल ट्रांसतुजुमाब दवा खाने वाले 41 फीसदी मरीजों को फायदा हुआ, जबकि टी-डीएम1 खाने वाले 48 फीसदी मरीजों को तत्काल फायदा हो रहा था।
परेज ने बताया कि यह दवा उन मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद है, जिन्हें अन्य ट्रीटमेंट से फायदा नहीं मिल रहा हो। उन्होंने बताया कि आमतौर पर कैंसर मरीजों के लिए स्टेज-3 काफी खतरनाक होता है, लेकिन इसके खात्मे के लिए भी उनकी टीम एक शोध में जुटी है और जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा।
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