एक गोली ने औरतों की दुनिया बदल दी। कॉन्ट्रासेप्टिव पिल के आने के बाद महिलाएं महज बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं रह गईं , बल्कि वे खुद से फैसला करने लगीं कि उन्हें मां कब बनना है। इस रिवोल्यूशन का अगला स्टेप था इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल , जिसे एहतियात बरते बिना सेक्स करने के फौरन बाद खा लेने से गर्भ ठहरने की आशंका नहीं रहती। मगर इस गोली की वजह से महिलाओं का भला ही नहीं , बुरा भी हो रहा है। इन गोलियों के अंधाधुंध इस्तेमाल की वजह से होने वाली दिक्कतों और प्रेग्नेंसी रोकने और फैमिली प्लानिंग के दूसरों तरीकों पर तमाम एक्सर्पट्स से बात के बाद जो जानकारी हमने इकट्ठा की , उसके अनुसार ...
क्या होती है इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल

अनसेफ सेक्स के बाद प्रेग्नेंसी रोकने के लिए खाई जाने वाली गोली। इस गोली में दो - तीन तरह के हॉर्मोंस की हेवी डोज होती है। ये हॉर्मोन हैं - इस्ट्रजन और प्रजेस्टिन। कुछ गोलियों में इन दोनों का कॉम्बिनेशन होता है तो कुछ में इनके साथ एंटीप्रजेस्टिन भी होता है। मार्केट में मिल रही कुछ पॉपुलर इमरजेंसी पिल आईपिल और पिल -72 हैं। दावा किया जाता है कि अगर इन दवाओं को अनसेफ सेक्स के 72 घंटे के अंदर खा लिया जाए तो प्रेग्नेंट होने की संभावना नहीं रहती।

कैसे करती है काम

इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल यूटरस ( गर्भाशय ) की अंदरूनी सतह पर असर करती है। इस सतह या इनर लाइनिंग को एंडोमीट्रियम कहते हैं। पिल में मौजूद हॉर्मोंस की वजह से इसमें कुछ फिजिकल और बायोकेमिकल चेंज होते हैं। जब एक एग फर्टिलाइज होता है , तो उसे खुद को इंप्लांट करना होता है , जो पिल से आए बदलावों की वजह से मुमकिन नहीं हो पाता।

इसके अलावा हॉर्मोन वेजाइना के अंदरूनी हिस्से सर्विक्स ( यही हिस्सा वेजाइना को यूटरस से जोड़ता है ) में रिसने वाले फ्लुइड ( सर्वाइकल म्यूकस ) को गाढ़ा कर देते हैं। इस म्यूकस के गाढ़ा होने की वजह से वेजाइना के अंदर स्पर्म आसानी से ट्रांसपोर्ट नहीं कर पाते हैं और गर्भ ठहरने की संभावना कम हो जाती है।

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