प्यार भरे सेक्स की शर्त
Shweta Pandey | 8:26 PM |
योग और ध्यान
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योग दर्शन
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योग निद्रा
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योगाभ्यास
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योगासन
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संभोग
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सेक्स
'दो अहंकार' आपस में कभी नहीं मिल सकते और जब तक आप अपने सहयोगी को दूसरा समझते हैं या उससे प्यार नहीं करते हैं तब तक इस जोड़ का कोई मतलब भी नहीं। पवित्रता के लिए प्यार का होना आवश्यक है। यदि आप अपने सहयोगी से प्यार नहीं करते हैं तो यह महज जंगली प्रक्रिया होगी।
सेक्स और रोमांस दोनों अलग-अलग सब्जेक्ट हो सकते हैं, लेकिन जिस सेक्स क्रिया में एक दूसरे के प्रति प्यार नहीं वह महज कोरी सेक्स क्रिया ही होगी। जानने में आता है कि बहुत से पति-पत्नी में प्यार नहीं होता फिर भी वे सेक्स करते हैं, सिर्फ इसलिए की यह वैवाहिक जीवन की एक प्रक्रिया है। पत्नी की इच्छा नहीं है तब भी सेक्स और है तब पति खुद का स्वार्थ पूरा करके अलग हो लेता है। यह सब इस बात की सूचना है कि पति-पत्नी में प्यार जैसी कोई भावना नहीं है। योग से इस भावना को जाग्रत किया जा सकता है।
योग कहता है कि यदि आप खुद भीतर से बँटे हैं तो आप स्वयं को शांतिपूर्ण और शक्तिपूर्ण महसूस नहीं कर सकते। निश्चित तौर पर योग आपके स्वाभाविक सेक्स और प्यारपूर्ण संबंधों के लिए बहुत ही सहयोगी हो सकता है। योग का अर्थ होता है जोड़, मिलन। जब हम सेक्स जीवन की बात करते हैं तो यह जोड़ और मिलन आवश्यक है।
कैसे हो दूसरे से प्यार :
हम मुख्यत: तीन भवन में निवास करते हैं- शरीर, प्राण और मन। शरीर कुछ और, प्राण कुछ और तथा मन कुछ और कहता है। तीनों में सामंजस्यता नहीं होने के कारण तीनों ही रोग से ग्रसित हो जाते हैं। यही हमारे फस्ट्रेशन का कारण है और इस फस्ट्रेशन को हम अक्सर अपने घर में ही निकालते हैं।
दिमाग में द्वंद्व है तो हम किसी भी क्षेत्र में अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाते हैं। दूसरों के प्रति प्यार होने के लिए हमें स्वयं से प्यार होना भी जरूरी है। यदि आप मानसिक द्वंद्व से घिरे हैं तो कभी तय नहीं कर पाएँगे कि सही क्या और गलत क्या। तो सबसे पहले इस द्वंद्व को मिटाने के लिए अपनी श्वासों पर ध्यान दें और इन्हें लय में लाएँ। इसके लिए प्राणायाम का सहारा लें।
प्यार भरे सेक्स की शर्त :
शरीर : प्राणायाम के साथ आप कुछ ऐसे आसनों का चयन करें जो अपकी बॉडी को फ्लेक्सिबल बना सके। वह कौन से योगासन हैं, जिन्हें करने से ऊर्जा का संचार होता है, यह जानने का प्रयास करें और फिर साथ-साथ उन आसनों को करें।
प्राण : बेहतर रिलेशनशिप ही बेहतर प्यार भरे सेक्स को जन्म देती है। वाद-विवाद के बीच आपसी संवाद खो न जाए, इसका ध्यान रखना अति आवश्यक है। इसके लिए अपनी साँसों पर ध्यान दें जो आपके भीतर क्रोध और अहंकार उत्पन्न करती हैं। प्राणायम के प्रयोग इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। कपालभाती और भस्त्रिका से द्वंद्व और फ्रस्टेशन का निकाल हो जाता है।
मन : मन में जीना अर्थात पागलपन में जीना है। ज्यादा मानसिक न बनें। अपने मन से ज्यादा अपने सहयोगी के मन की सुनें। मन में संतुलन लाएँ, क्योंकि बाह्यमुखी व्यक्ति बहुत ज्यादा बेचैन और अंतरमुखी बहुत ज्यादा कुंठाग्रस्त रहते हैं। इससे आपका सेक्स जीवन प्रभावित हो सकता है। इसके लिए ध्यान का सहारा लें और मन को एक स्थिर झील की तरह बनाएँ।
योगा पैकेज : सूर्यनमस्कार, पादहस्तासन, पश्चिमोत्तनासन, त्रिकोणासन, सुप्तवज्रासन, उष्ट्रासन, धनुरासन, नौकासन, चक्रासन, योगमुद्रासन, गोमुखासन, सिंहासन। प्राणायम में कपालभाती, भस्त्रिका। नेति में करें, सूत्र नेति। शुरुआत करें अंग संचालन से यह सब कुछ योग शिक्षक की देख-रेख में।
सेक्स और रोमांस दोनों अलग-अलग सब्जेक्ट हो सकते हैं, लेकिन जिस सेक्स क्रिया में एक दूसरे के प्रति प्यार नहीं वह महज कोरी सेक्स क्रिया ही होगी। जानने में आता है कि बहुत से पति-पत्नी में प्यार नहीं होता फिर भी वे सेक्स करते हैं, सिर्फ इसलिए की यह वैवाहिक जीवन की एक प्रक्रिया है। पत्नी की इच्छा नहीं है तब भी सेक्स और है तब पति खुद का स्वार्थ पूरा करके अलग हो लेता है। यह सब इस बात की सूचना है कि पति-पत्नी में प्यार जैसी कोई भावना नहीं है। योग से इस भावना को जाग्रत किया जा सकता है।
योग कहता है कि यदि आप खुद भीतर से बँटे हैं तो आप स्वयं को शांतिपूर्ण और शक्तिपूर्ण महसूस नहीं कर सकते। निश्चित तौर पर योग आपके स्वाभाविक सेक्स और प्यारपूर्ण संबंधों के लिए बहुत ही सहयोगी हो सकता है। योग का अर्थ होता है जोड़, मिलन। जब हम सेक्स जीवन की बात करते हैं तो यह जोड़ और मिलन आवश्यक है।
कैसे हो दूसरे से प्यार :
हम मुख्यत: तीन भवन में निवास करते हैं- शरीर, प्राण और मन। शरीर कुछ और, प्राण कुछ और तथा मन कुछ और कहता है। तीनों में सामंजस्यता नहीं होने के कारण तीनों ही रोग से ग्रसित हो जाते हैं। यही हमारे फस्ट्रेशन का कारण है और इस फस्ट्रेशन को हम अक्सर अपने घर में ही निकालते हैं।
दिमाग में द्वंद्व है तो हम किसी भी क्षेत्र में अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाते हैं। दूसरों के प्रति प्यार होने के लिए हमें स्वयं से प्यार होना भी जरूरी है। यदि आप मानसिक द्वंद्व से घिरे हैं तो कभी तय नहीं कर पाएँगे कि सही क्या और गलत क्या। तो सबसे पहले इस द्वंद्व को मिटाने के लिए अपनी श्वासों पर ध्यान दें और इन्हें लय में लाएँ। इसके लिए प्राणायाम का सहारा लें।
प्यार भरे सेक्स की शर्त :
शरीर : प्राणायाम के साथ आप कुछ ऐसे आसनों का चयन करें जो अपकी बॉडी को फ्लेक्सिबल बना सके। वह कौन से योगासन हैं, जिन्हें करने से ऊर्जा का संचार होता है, यह जानने का प्रयास करें और फिर साथ-साथ उन आसनों को करें।
प्राण : बेहतर रिलेशनशिप ही बेहतर प्यार भरे सेक्स को जन्म देती है। वाद-विवाद के बीच आपसी संवाद खो न जाए, इसका ध्यान रखना अति आवश्यक है। इसके लिए अपनी साँसों पर ध्यान दें जो आपके भीतर क्रोध और अहंकार उत्पन्न करती हैं। प्राणायम के प्रयोग इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। कपालभाती और भस्त्रिका से द्वंद्व और फ्रस्टेशन का निकाल हो जाता है।
मन : मन में जीना अर्थात पागलपन में जीना है। ज्यादा मानसिक न बनें। अपने मन से ज्यादा अपने सहयोगी के मन की सुनें। मन में संतुलन लाएँ, क्योंकि बाह्यमुखी व्यक्ति बहुत ज्यादा बेचैन और अंतरमुखी बहुत ज्यादा कुंठाग्रस्त रहते हैं। इससे आपका सेक्स जीवन प्रभावित हो सकता है। इसके लिए ध्यान का सहारा लें और मन को एक स्थिर झील की तरह बनाएँ।
योगा पैकेज : सूर्यनमस्कार, पादहस्तासन, पश्चिमोत्तनासन, त्रिकोणासन, सुप्तवज्रासन, उष्ट्रासन, धनुरासन, नौकासन, चक्रासन, योगमुद्रासन, गोमुखासन, सिंहासन। प्राणायम में कपालभाती, भस्त्रिका। नेति में करें, सूत्र नेति। शुरुआत करें अंग संचालन से यह सब कुछ योग शिक्षक की देख-रेख में।
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