शिकागो में 16 साल की एनी को महीने में 4000 एसएमएस करने के बाद एक बीमारी हो गई कार्पल टनल सिंड्रोम
जिसे ठीक करने के लिए सर्जरी करवानी पड़ी। इस खबर का खौफ इस कदर पैरंट्स पर हावी हो रहा है कि वे अपने बच्चों को यह खबर सुनाकर ज्यादा एसएमएस न करने की हिदायत दे रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि यह खबर सुनकर डरने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आप ढेर सारे मेसेज करते हैं या कंप्यूटर के की-बोर्ड पर ज्यादा वक्त गुजारते हैं तो भी आपको कार्पल टनल सिंड्रोम नहीं होगा। मगर हां...अगर आपको पहले से यह दिक्कत है तो यह आपका दर्द जरूर बढ़ा सकता है।

हो सकता है डरावनी तस्वीरों वाले कुछ ईमेल आपको मिले हों, जिनमें ज्यादा वक्त की-बोर्ड पर काम करने से कार्पल टनल सिंड्रोम होने की बात लिखी हो। लेकिन यह सच नहीं है। अगर कोई सामान्य शख्स ज्यादा मेसेज टाइप करता है या की-बोर्ड पर ज्यादा काम करता है तो उसे कोई दिक्कत नहीं होती न ही कोई दर्द होता है। फोर्टिस ग्रुप में कंसल्टेंट ऑथोर्पेडिक सर्जन डॉ. कौशल कांत मिश्रा कहते हैं कि यह सिंड्रोम ज्यादातर महिलाओं में होता है। कलाई में चोट लगने, किसी तरह के ट्यूमर, टाइट लिगामेंट, हाइपो थाइरॉइड, डायबीटीज या किसी भी वजह से अगर टनल का साइज छोटा हो जाता है तो कार्पल टनल सिंड्रोम होता है। जब टनल के अंदर कोई दबाव पड़ने से नसों पर दबाव बढ़ता है और इसके लक्षण दिखते हैं। मीडियन नर्व के दबने से दर्द होता है। अंगूठे, दूसरी और तीसरी उंगली में इसका ज्यादा असर होता है। मेसेज टाइप करना, की-बोर्ड पर काम, ड्राइव करना दर्द बढ़ा सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ज्यादा एसएमएस करने या की-बोर्ड पर काम करने से कार्पल टनल सिंड्रोम होता है। सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. नवीन तलवार के मुताबिक हालांकि मेसेज करने और की-बोर्ड पर काम करने से कार्पल टनल सिंड्रोम का कोई डायरेक्ट लिंक नहीं है लेकिन थोड़ी सावधानी बरतने में कोई हर्ज नहीं है। जिस पॉश्चर में दर्द होता है उस पर रहना अगर मजबूरी है तो बीच-बीच में आराम कर सकते हैं। अगर दिक्कत ज्यादा है तो सर्जरी करके टनल का साइज बड़ा दिया जाता है। यह आधे घंटे की सर्जरी है और दूसरे दिन से काम किया जा सकता है।

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