एक शोध से संकेत मिले हैं कि इस बात में कोई दम नहीं है कि मधुमेह से पीड़ित लोगों के नियमित रूप से ऐस्प्रिन का सेवन करने से दिल के दौरे का ख़तरा कम हो जाता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक 1300 ऐसे वयस्कों ने ऐस्प्रिन का नियमित रूप से सेवन किया जिनमें हृदय रोग के कोई लक्षण नहीं थे. उन्हें इससे कोई फ़ायदा नहीं हुआ. यह अनुसंधान उन विभिन्न दिशा-निर्देशों के विपरीत हैं जिनमें दिल के दौरों से बचने के लिए ऐस्प्रिन के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जाता है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है स्वास्थ्य संबंधित ख़तरे झेल रहे कई अन्य ऐसे मरीज़ हैं जिन्हें इसकी ज़रूरत हो सकती है.

'कोई लाभ नहीं'

शुरूआती स्तर पर बचाव के लिए इसके इस्तेमाल पर हमें दोबारा विचार करने की ज़रूरत है नवीनतम अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों को दिल का दौर पड़ चुका हो या फिर जो हृदय रोग से ग्रस्त हों, उनमें ऐस्प्रिन के इस्तेमाल से भविष्य में होने वाले ख़तरों में लगभग 25 प्रतिशत कटौती होती है.

लेकिन 40 साल से ज़्यादा उम्र वाले मधुमेह से पीड़ित लोगों पर हुए ताज़ा शोध में सात साल की अवधि में ऐस्प्रिन के सेवन करने वाले और उसका सेवन न करने वाले लोगों में दिल के दौरे के संबंध में कोई फ़र्क नहीं पड़ा.

अध्ययन दल की प्रमुख प्रोफ़ेसर जिल बेल्च का कहना है कि पेट में रक्त स्त्राव की शिकायत के साथ अस्पताल पहुँचने वाले अधिकतर लोग ऐस्प्रिन सेवन के शिकार होते हैं. मरीज़ों को फ़िलहाल परेशान होने की या एस्प्रिन लेना बंद करने की ज़रूरत नहीं है उन्होंने कहा, ''शुरूआती स्तर पर बचाव के लिए इसके इस्तेमाल पर हमें दोबारा विचार करने की ज़रूरत है. ''

इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक विशेषज्ञ पीटर सेवर का मानना है कि यह अध्ययन 'बेहद महत्वपूर्ण' है. उन्होंने कहा, हज़ारों लोग दुकानों से ऐस्प्रिन ख़रीदते हैं. मैं मरीज़ों से हमेशा कहता हूँ कि ऐसा न करें. इस सब के बावजूद रॉयल कॉलेज के प्रोफ़ेसर स्टीव फील्ड का कहना है यह अध्ययन मौजूदा-दिशा निर्देशों को बदलने के लिए महत्वपूर्ण है.

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